आपके न्यायालयीन विचारार्थ प्रस्तुत किए गए याचिकाओं और उन पर आपके द्वारा पारित अभिमतों की विवेचना करते हुए, मुझको यह खुला पत्र आपको प्रेषित करने के लिए प्रेरित किया है। स-विवरण क्रमवार प्रस्तुत कर रहा हूं।
पृष्ठभूमि: देश भर के ईपीएस९५ पेंशनरों द्वारा देश के विभिन्न हाई कोर्टों व सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं के संदर्भ में।
१.यह कि सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा भविष्य निधि संगठन (ई पी एफ ओ) द्वारा दायर संशोधित विशेष अनुमति याचिका और श्रम व रोजगार मंत्रालय के पुनर्विचार याचिका को विचारार्थ आपके न्यायालय में सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया। साथ ही अन्य बहुत सी याचिकाएं जो कि ईपीएस९५ पेंशनरों/ पेंशनर्स संगठनों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हो/लंबित रही, संबद्ध की हुई हैं, दिनांक २९/०१/२०२१ एवं दिनांक ६/०२/२०२१ को आपके समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत की गई।
२.आपने दिनांक दिनांक २९/०१/२०२१ एवं ६/०२/२०२१ को ईपीएस९५ सें संबंधित प्रस्तुत याचिकाओं पर अपनी प्रथमदृश्यता अभिमत प्रकट कर आपके न्यायालय को सक्षम न्यायालय (Appropriate Court) न पाते हुए, श्रीमान पंजीयक, सुप्रीम कोर्ट/Registrar, Supreme Court, से अपेक्षा की, कि इस विषय पर माननीय मुख्य न्यायाधीश जी के हस्तक्षेप/दिशा निर्देश प्राप्त कर, संबंधित याचिकाओं को सक्षम न्यायालय के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत की जाएं। यह कि आपने दिनांक १९/०२/२०२१ तक आपने, आपके समक्ष प्रस्तुत ईपीएस९५ संबंधित हर याचिका पर संज्ञान लेकर, सभी याचिकाओं को पुनः दिनांक २५/०२/२०२१ को प्रस्तुत किए जाने की व्यवस्था दी। अमूमन यह माना जाएगा कि जहां आप अपने आपको सक्षम न्यायालय नहीं मान रहे हैं, पर पंजीयक सुप्रीम कोर्ट और श्रीमान मुख्य न्यायाधीश की किसी भी लिखित व्यवस्था नहीं किया जाना, इस और इंगित करता है कि श्रीमान मुख्य न्यायाधीश और पंजीयक महोदय ने आपके न्यायालय को ही सक्षम माना है, इसलिए आपके मंतव्य के बाद भी याचिकाओं को आपके न्यायालय में ही विचारार्थ सूचिबद्ध करना, आपको स्वयंमेव सक्षम न्यायालय होने के दायित्व का बोध कराया गया।
२.(अ) कदाचित, आप भली भांति परिचित थे कि दिनांक १/०४/२०१९ को माननीय मुख्य न्यायाधीश ( श्री रंजन गोगोई) ने ईपीएफओ द्वारा केरला हाई कोर्ट के आदेश दिनांक १२/१०/२०१८ के विरुद्ध दायर विशेष अनुमति याचिका अमान्य/Dismiss की गई थी।
२(ब) आप यह भी भली भांति परिचित थे कि दिनांक १२/०७/२०१९ को उप महान्यायवादी / Assistant Solicitor General द्वारा Mentioning के माध्यम से ईपीएफओ एवं श्रम मंत्रालय के संशोधित विशेष अनुमति याचिका और पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई किए जाने की आवश्यकता से अवगत कराया। यह कि इस Mentioning प्रक्रिया में भी तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश श्री रंजन गोगोई संलग्न रहे।
२(स) यह कि २(ब) में उल्लेखित संशोधित विशेष अनुमति याचिका और पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज दिनांक २५/०३/२०२१ तक विचारार्थ स्वीकृति नहीं दी गई है।
३. दिनांक २५/०२/२०२१ को आपके समक्ष प्रस्तुत किए गए याचिकाओं का संज्ञान लेते हुए यह आपने संकल्प किया कि इन सभी याचिकाओं को नियमित दैनिक आधार पर विचार की जाए, जिससे कि वाद के विभिन्न बिंदुओं पर पूरी सुनवाई के बाद, अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके, और आपने दिनांक २३,२४ और २५/०३/२०२१ की तारीख नियत की, और संबंधित पक्षों को १०/०३/२०२१,१५/०३/२०२१, १७/०३/२०२१ एवं २०/०३/२०२१ की तालिका बनाकर पक्षों को संक्षिप्त विवरणी, आवश्यक दस्तावेजों को संलग्न कर प्रस्तुत करने दिशानिर्देश तय किए, जिसका हर पक्ष ने पूर्णतः पालन किया।
आपने २५/०२/२०२१ को क्यूंकि ईपीएफओ व श्रम मंत्रालय की संशोधित विशेष अनुमति याचिका और पुनर्विचार याचिका पर निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए श्रीमान मुख्य न्यायाधीश द्वारा १/०४/२०१९ को खारिज/dismiss किए गए आदेश को recall कर लिया। इतना ही नहीं पूरे देशभर में विभिन्न हाई कोर्टों में लंबित ईपीएस९५ पेंशनरों द्वारा दायर याचिकाओं पर किसी भी प्रकार के आदेश पारित न किए जाने का निर्देश भी पारित कर दिया।
श्रीमान न्यायाधीश महोदय आपकी इस सहृदयता का हम ईपीएस९५ पेंशनरों पर क्या प्रभाव पड़ा यह आपको बताना आवश्यक समझता हूं।
क. माननीय मुख्य न्यायाधीश के आदेश ४/१०/२०१६ ( आर सी गुप्ता बनाम ई पी एफ ओ ) जो कि भविष्य निधि न्यासी बोर्ड, भविष्य निधि संगठन, श्रम मंत्रालय, केंद्रीय केबिनेट द्वारा अक्षरशः पालन किए जाने का अनुमोदन हो २३/०३/२०१७ को भारतीय संसद के दोनों सदनों में ध्वनिमत से पारित की गई, और ईपीएस९५ पेंशनरों को अंतिम वास्तविक वेतन पर पेंशन गणना किए जाने संबंधित दिशानिर्देश २३/०३/२०१७ को ही प्रसारित कर दी गई।
ख. इसके विपरीत, आपके सहृदयता पूर्ण २५/०२/२०२१ की गई व्यवस्था का दुश्प्रभाव यह हुआ कि सबसे पहले श्रीमान महाधिवक्ता/ Solicitor General श्री के के वेणू गोपाल ने अपने अवैध/अस्वीकार्य/अनैतिक/ और अनाधिकृत न्यायिक अवधारणाओं से ई पी एफ ओ को अवगत कराया कि क्यूंकि सर्वोच्च न्यायालय के खारिज / dismiss किए गए दिनांक १/०४/२०१९ के आदेश को recall कर लिया गया है, केरला हाई कोर्ट के आदेशों का औचित्य स्वयंमेव शून्य हो जाता है। श्रीमान महान्यायधिवक्ता श्री वेणू गोपाल द्वारा सुप्रीम कोर्ट/भारतीय संसदीय प्रणाली के आदेशों के विपरीत प्रतिकूल प्रतिक्रिया उन पर महाभियोग चलाने जाने के पात्र हैं। जबकि ईपीएफओ और श्रम मंत्रालय के संशोधित विशेष अनुमति याचिका और पुनर्विचार याचिका अब तक आपसे ग्राह्य हो स्वीकृत नहीं हुए हैं।
ग.इससे दो कदम आगे बढ़कर भविष्य निधि संगठन ने २३/०३/२०१७ को संसद से पारित आदेश/दिशानिर्देश को आगामी सूचना तक विलंबित/ abeyance में रखे जाने एवं वास्तविक वेतन पर पेंशन गणना/क्रियान्वयन पर रोक के निर्देश जारी किए। भविष्य निधि संगठन द्वारा उठाया गया कदम कूट जनित कुत्सित अपराध की श्रेणी का हो, कठोर दंड दिए जाने के योग्य कृत्य है।
४. आपके ही किए व्यवस्था के अनुरूप ईपीएस९५ से संबंधित सभी याचिकाओं को २३/०३/२०२१ से नियमित सुनवाई के लिए सूचिबद्ध किया गया।
पर आपने भी अपने ही बनाए गए व्यवस्था का पालन न करते हुए क्र १६ में सूचीबद्ध ( Diichi vs oth)अन्य प्रकरण की निरंतर सुनवाई प्रारंभ कर दी। और ईपीएस९५ संबंधित याचिकाओं का भविष्य भी आपके कुटिल जाल में कैद कर लिया। आपका क्रम में सूचीबद्ध ईपीएस९५ संबंधित याचिकाओं की अनदेखी कर बाद के क्रम के प्रकरण की पूरी बहस करने उत्प्रेरित होना, हम ईपीएस९५ पेंशनरों का आपके प्रर्वाग्रह से ग्रसित होने की अवधारणाओं को बल देता है।
आप सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त होने से पूर्व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं में शामिल रहे हैं, और यह भी कि वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा प्रति सुनवाई/उपस्थिति ( price tag)के लिए कितनी राशि ली जाती हैं।
सूचीबद्ध समस्त ५९ याचिकाकर्ता समूहों द्वारा इन २३-२४-२५/मार्च /२०२१ के लिए कितनी राशि इन वरिष्ठ अधिवक्ताओं को दी गई होगी, आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं, वह भी बगैर सुनवाई के, और केवल आपकी वजह से।
कृपया आप किसी भी प्रकार का स्पष्टीकरण न दें, यह भारतीय न्याय व्यवस्था की बलिहारी है कि ऐसे खेल सुप्रीम कोर्ट में बेरोकटोक जारी है। काजल की कोठरी में आपके दामन भी पाक साफ नहीं हैं।
कोई तो होगा जो इसका विरोध करे।
मैं, विरोध करता हूं।
ईश्वर से डरें।
यू वरदराजन (मुरली)
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