29 जनवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के पश्चात मेरी पोस्ट के उपरांत मुझे कई मित्रों ने फोन किया और पूछा कि अब केस की क्या स्थिति है।
केस की स्थिति इस प्रकार है।केरला हाई कोर्ट के दिसंबर 2018 के आदेश, जिसके द्बारा ईपीएफओ के 29.08.2014 व 31.05.2017 के आदेशो को निरस्त कर दिया गया था, के खिलाफ एक स्पेशल लीव पिटिशन सुप्रीम कोर्ट में फाइल की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 अप्रैल 2019 को इस पिटीशन को खारिज कर दी गया था। ईपीएफओ ने 01.04.2019 के आदेश के खिलाफ एक रिव्यू पिटिशन फाइल की और सुप्रीम कोर्ट से यह प्रार्थना की कि वह अपने आदेश को रिव्यू करें।
इसके साथ ही साथ भारत सरकार ने एक स्पेशल लीव पिटिशन फाइल की और उसमें कुछ नये मुद्दों को जोडा।
नये मुद्दों में ....
1. ईपीएफ पेन्शन फन्ड खत्म हो जाना, यदि पेन्शन वास्तविक सैलरी पर दी जाए,
2. कार्मिक की औसत आयु 83 वर्ष मान कर गणना करना जबकि यूनाइटेड नेशंस द्वारा जारी औसत आयु 70 वर्ष दर्शाई गई है।
3. Actuarial deficit 15,28,519.47 करोड बताना।
इन सभी मुद्दो पर सरकार व ईपीएफओ विभिन्न माध्यमो से पूरी तरह से अलग अलग आकन्डे दिए गये हैं जो इस बात का प्रतीक है कि इन सस्थांयो द्बारा दिए गए आकन्डे गुमराह करने वाले हैं।
इन सभी आकन्डो को खारिज करने के लिए पूर्ण तैयारी है तथा वकीलों को अवगत करा दिया गया है। हमें पूरी आशा है कि होने वाली बहस में सरकार व ईपीएफओ के प्रयासों को विफलता ही मिलेगी।
अन्त में आप सभी को अवगत कराना है कि हजारों पेन्शनरस द्वारा सुप्रीम कोर्ट में ईपीएफओ के आदेशो को निरस्त करने की विभिन्न याचिकाओ की सुनवाई भी इन के साथ ही होगी।
मित्रों हमें धैर्य रखना है और यह ध्यान रखना है कि उम्मीद पर ही दुनिया कायम है।
धन्यवाद व आदर सहित
1 Comments
We, the pensioners of 1995 thought of dying peacefully with a slimmer hope of getting a part of our pension amount deducted during our working period. The ultimate reason is that my children will be above 25 yrs if God proposes we both will be not there after 10 to15 yrs then the balance amt will be Gangajali. We are nothing in the eyes of so called great leaders. God bless them for looting us.
ReplyDelete