EPS 95 HIGHER PENSION CALCULATION | HIGHER PENSION LIST SEARCH YOUR NAME
जैसा कि सभी EPS 95 पेंशनधारकों को अवगत है कि EPS 95 पेंशनधारकों से जुड़े हुए हायर पेंशन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 18 जनवरी 2021 को सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान ईपीएफओ द्वारा जो पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है और श्रम मंत्रालय द्वारा एक याचिका दाखिल की गई है तो इन याचिकाओं के ऊपर सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान कोई भी फैसला इन याचिकाओं पर नहीं लिया गया और इन याचिकाओं के लिए अगली सुनवाई को 25 जनवरी 2021 तक के लिए टाल दिया गया था। अब ईपीएस 95 पेंशन धारकों को 25 जनवरी तक का इंतजार करना था। पर अभी मौजूदा समय में अपडेट है कि यह 25 तारीख को जो सुनवाई या लिस्ट की गई थी तो इनके ऊपर अभी सुनवाई 25 जनवरी की जगह 27 जनवरी 2021 को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को एक अन्य पीठ के समक्ष ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) पेंशन से संबंधित याचिकाओं को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ने पहले दलीलों पर विचार किया था। जैसा कि दोनों अभी भी सुप्रीम कोर्ट में हैं, इसलिए इन मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास पीठ के समक्ष ईन याचिकाओं को सूचीबद्ध करने के लिए छोड़ दिया गया था, जिनमें या तो जस्टिस संजीव खन्ना या जस्टिस अनिरुद्ध बोस शामिल हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने जारी किया। चीफ जस्टिस ए ए बोबडे सोमवार को फैसला करने वाले थे कि याचिकाओं को कौन्सी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।
केरल उच्च न्यायालय ने 12 अक्टूबर, 2018 को फैसला सुनाया था की EPS 95 पेंशनधारकों पूर्ण वेतन के अनुसार पेंशन दी जाये। ईपीएस 95 (कर्मचारी पेंशन योजना 1995) में कर्मचारी की हिस्सेदारी की गणना के आधार पर वेतन की 15,000 रुपये की सीमा तय की गई थी जिसे इस फैसले ने निरस्त कर दिया था। इसके साथ, कर्मचारियों के वेतन के अनुसार पेंशन की अनुमति दी गई थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने 1 अप्रैल, 2019 को कर्मचारी पेंशन योजना से मासिक पेंशन पर केरल उच्च न्यायालय के फैसले को भी बरकरार रखा। इसके बाद, EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) ने एक समीक्षा याचिका दायर की और श्रम मंत्रालय ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ एक अपील दायर की।
केंद्र द्वारा दायर नई अपील में, यह बताया गया है कि 15,000 रुपये की सीमा आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को लक्षित करने के लिए निर्धारित की गई थी। अगर सीमा को रद्द करने के फैसले को लागू किया गया था, तो ईपीएस में 15,28,519.47 करोड़ रुपये की कमी होगी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद EPFO को 839.76 करोड़ रुपये भी देने थे।
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