नमस्ते, मै कानपुर मे स्थिति डंकन इंडस्ट्रीज लिमिटेड फर्टिलाइजर कारखाने मे कार्यरत था लेकिन अपने कार्यकाल की अवधि समाप्त होने के पहले ही यूनियन के साथ विवाद चलते आयोजक द्वारा फैक्ट्री में तालाबंदी हो गई।
मेरा रिटायरमेट नवम्बर 2002 मे होना था। मेरा पीएफ का पैसा कंपनी के ट्रस्ट द्वारा भुगतान कर दिया गया लेकिन मेरी पेंशन की कटौती का पैसा भविष्यनिधि कार्यालय मे पूरा नही जमा हुआ।
जब 2011 मे फैक्टरी को के एफ सी (कानपुर फर्टिलाइजर एन्ड सीमेंट लि) खरीद लिया तब मैने अपनी पेंशन के निस्तारण के लिए प्रयास शुरू किया।
प्रारम्भ मे यह पेंशन फेमिली पेंशन के नाम से लागू हुई थी बाद मे 1995 मे इपीएस मे परिवर्तित कर दिया गया। मुझे 2017 मे आयोजक द्वारा एक इस्टेटमेट थमा दिया गया जिसके अनुसार इसपीएस की कटौती का बकाया धन करीब ₹ 1,06,000/= पीएफ कार्यालय मे चेक द्वारा जमा करना था।
मैने ब्याज पर उधार पैसा लेकर संयुक्त आयुक्त से मिलकर यह राशि जमा करने की पेशकश की लेकिन कयी चक्कर लगाने के बाद हताश होकर हमने संयुक्त आयुक्त ( श्री बाजपेयी ) से निवेदन किया कि कृपया हमारा जमा पैसा लौटाने की व्यवस्था कर दे। लेकिन मालूम हुआ कि मेरा सेवा काल 10 वर्ष का है इस लिए सम्भव नही है।
इस बीच साइकिल से गिर जाने मेरे बाए पैर की हड्डी टूट गई। जिसमे रॉड पड गयी जिससे चलने फिरने दिक्कत हो गई। इस हादसे से, जो पैसा उधार लिए था वह खत्म हो गया और मेरी पेंशन का निस्तारण पीएफ विभाग द्वारा अभी लंबित है।
यह है सरकारी कार्य शैली। कर्मचारी 79 वर्ष की आयु मे अपनी पेंशन से वंचित है और न ही उसे उसकी कटौती की धन राशि लौटाई जा रही है ना ही पेशन दी जा रही है।
A Post by Ajeet Singh ( EPS 95 Pensioner)
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