श्री Gurumukh Singh Sahl ji President NCR के नाम खुला पत्र
आप किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं,अच्छी बात है,किन्तु कृषी कानून का मुद्दा जितना अच्छा एक आम किसान समझ सकता है कोई दूजा नहीं। लेकिन आम किसान कम विशेष किसान ही उनकी पैरवी करते नजर आ रहे हैं ऐसा मैं नहीं बल्कि लोग कह रहे हैं और TV में लाखों लोगों के लिए जिस प्रकार खाने पीने, सोने ओढेने के इंतेजाम दिखाया जा रहा है, शायद किसान जिसे में गरीबो की श्रेणी में रख कर देखते हैं, ये सब उनके कूबत के बाहर ही होना चाहिए। हम जब देश के 65 लाख EPS95 के बात सोचते हैं तो यहाँ भी आम और खास दो श्रेणियां दिखाई देती है, कुछ अत्यंत गरीब तो कुछ अत्यंत सक्षम। औसतन सभी वरिष्ठ नागरिक शारीरिक आर्थिक रूप से न केवल कमजोर हैं बल्कि इस दुनियां से कुछ करने की कगार पर हैं, अनेक तो विदा ही ले चुके हैं।
पिछले चार सालों से सभी पेंशनर्स अपनी अपनी सीमित समार्ध्य के अनुसार अपनी पेंशन की जायज मांगो के लिये सड़को पर ही नहीं बल्कि कोर्ट में भी संघर्ष करते चले आ रहे हैं,हमें तो अब तक किसी का समर्थन नहीं मिला।न देश के अंदर से न देश के बाहर से,जितने भी विपक्ष के राजनैतिक दल हैं उनमें से एक ने भी सामने आ कर हमारा समर्थन करना तो दूर किया,अपनी नजरें करम की इनायत करना की जरूरत महसूस नहीं की।
जिस प्रकार पूरे देश की किसानों की हालत है उससे बत्तर तो पूरे देश के EPS95 के सेवानिवृत्त,वरिष्ठ नागरिकों की है।हम अपने ही पेंशनर्स समाज का समर्थन नहीं दे पा रहे हैं,किसान भाइयों के समर्थन में बिना बुलाये ही चल पड़े हैं।मैं नहीं कहता कि आप गलत कर रहे हैं,अच्छा है समर्थन दीजिए,पर ऐसा है तो सिर्फ सोशल मीडिया में समर्थन देने से किसान आंदोलन को बल मिलता है तो मैं भी आपके साथ खड़ा हूँ।
क्या EPS95 के पेंशनर्स का जिसकी अगुवाई NCR के मंच से आप कर रहे हैं,पूरे देश के पेंशनर्स को चलो दिल्ली का आव्हान कर सकते हैं,क्या सभी नहीं तो सिर्फ दिल्ली और आसपास के पेंशनर्स के एक दस्ते को आंदोलन स्थल पर जा कर अपनी उपस्तिथि दर्ज करवा सकते हैं।
यदि ये संभव है तो आपकी सोशल मीडिया पर समर्थन किसान भाइयों के आंदोलन के लिये वास्तविक और सार्थक होगी,आप NCR जैसी संस्था के माननीय अध्यक्ष हैं जिसमें 50 के लगभग दूसरे पब्लिक सेक्टर, निजी, सहकारी, संस्थाओं के लाखों लोग जुड़े हुए हैं, ऐसे में आपके अकेले समर्थन का किसान भाइयों के आंदोलन पर तो कोई अधिक प्रभाव या उपयोग तो होने से रहा।
यदि आपका ये समर्थन व्यक्तिगत है तो ठीक है,जिसे आपकी बात समझ आती हो तो ठीक, पर आप किसी पर अपनी राय तो नहीं थोप सकते हैं न, आपकी इस पोस्ट के तो यही मायने लोग समझ रहे हैं जैसे कि आपके एक प्रबुद्ध मित्र श्री. सतीश प्रसादजी ने इन्ही कारणों के चलते आपकी दोस्ती से विलग होने का मन बना रहे हैं। मेरे तो मानना है कि दोस्तों में लाख मतभेद हो मनभेद नहीं होना चाहिए। आप बहुत ही अनुभवी, समझदार व्यक्ति हैं।
आदरणीय, इसलिए इस मामले में मुझे आपको किसी प्रकार की सलाह देने की जरूरत नहीं है। हाँ यदि हो सके तो किसान आंदोलन के किसी भी मंच से पेंशनरों को सरकार से न्याय दिलवाने पर समर्थन प्राप्त कर सकें,तो आपके इस प्रयास की सर्वत्र प्रशंसा जरूर होगी,इतना तो तय है।कमांडर अशोक रॉउट की तरह अन्य पेंशनरों के मंच से देश व्यापी आंदोलन चलाया जा रहा है,क्या उन्हें पेंशनर्स समाज में रहते हुए ऐसा ही समर्थन दे सकते हैं भले व्यक्तिगत तौर ही सहीं जैसा कि आप किसान भाइयों के समर्थन में आगे आये हैं ?
आपके उक्त समर्थन पर बाकि मित्रों की राय क्या होगी, ये तो तभी ज्ञात हो सकेगी,जब वो कुछ कहें, सभी ऐसे मित्रों का दिल से स्वागत ही करूंगा। क्षमा चाहूंगा वक्तव्य जरा लंबा हो गया मित्रों, फुर्सत में हो तो थोड़ा समय अपने पेंशनर समाज के लिए जरूर निकालें, यही विनम्र आग्रह है मित्रों।
यह पत्र एक EPS-95 पेंशनधारक द्वारा माननीय श्री Gurumukh Singh Sahl ji President NCR को लिखा गया है जो मौजूदा समाय में ईपीएस 95 पेंशनधारकों को वेथा को दर्शाती है। इसलिए ईपीएस 95 पेंशनधारकों के ज्वलंत मुद्दे पर ध्यान देने की जरुरत है।
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