EPS 95 HIGHER PENSION CASE STATUS IN SUPREME COURT, NEXT HEARING DATE
नमस्कार सभी रिटायर्ड कर्मचारियों का पेंशनधारकों का आज के इस पोस्ट में स्वागत है। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जेएनयू के एक रिटायर्ड प्रो. कुणाल चक्रवर्ती के हक में बड़ा से फैसला सुनाया गया है। दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा यह जो बड़ा फैसला उनके हक में सुनाया गया जिसमें कहा है कि पेंशन का लाभ न तो सरकार और नियोक्ता की इच्छा पर मिलने वाला कोई इनाम है और ना ही किसी तरह की अनुदानित राशि है।
दरअसल 2019 में रिटायर होने के बाद प्रो. कुणाल चक्रवर्ती द्वारा जेएनयू से रिटायरमेंट के जो बेनिफिट है तो वह पाने के लिए आवेदन किया गया था। पर JNU द्वारा इनके आवेदन को अस्वीकृत कर दिया गया था। दरअसल जेएनयू द्वारा बताया गया था कि 31 जुलाई 2018 को अन्य शिक्षकों के साथ 1 दिन की हड़ताल में शामिल होने का आरोप था लेकिन इसके बाद इनको कोई भी आरोप पत्र नहीं दिया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामले में रोक लगाना उचित नहीं है।
न्यायमूर्ति ज्योति सिन्हा की खंडपीठ में यह फैसला सुनाते हुए कहा कि पेंशन और रिटायरमेंट के बाद जो मिलने वाले बेनिफिट है तो वह एक कर्मचारी के अधिकार है और यह पिछली सेवा के बदले का भुगतान होता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि पेंशन और अन्य सुविधाएं रिटायर कर्मचारी के सामाजिक कल्याण के लिए होती है जो उसने अपने जीवन के सुनहरे दिनों में नियत समय पर काम करते हुए कमाई गई राशि है। इसके साथ ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने JNU को 4 सप्ताह के भीतर प्रोफ़ेसर कुणाल चक्रवर्ती को भविष्य निधि सहित सभी अन्य वित्तीय सुविधाओं का भुगतान करने का आदेश दिया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ न तो कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई लंबित है और ना ही उन्हें निलंबित किया गया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता पर जेएनयू ने 31 जुलाई 2018 को अन्य शिक्षकों के साथ 1 दिन की हड़ताल में शामिल होने का आरोप लगाया था साथ ही कहा था कि JNU ने सितंबर 2018 को इस मामले में प्रोफ़ेसर चक्रवर्ती को कारण बताओ नोटिस जारी किया था पर उनके ऊपर कोई भी आरोप पत्र नहीं दिया गया था। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे में पेंशन पर रोक लगाना उचित नहीं है और इनको जो पेंशन का भुगतान किया जाए।
साथ ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर सरकारी कर्मचारी के खिलाफ गंभीर अनुशासनात्मक कार्रवाई के आधार पर उक्त भक्तों के साथ पेंशन रोकी जा सकती है। न्यायालय ने कहा कि जहां तक इस मामले का सवाल है तो इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है। इसके लिए प्रो. कुणाल चक्रवर्ती है तो उनकी पेंशन और भविष्य निधि को रोका नहीं जा सकता।
दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा यह जो बड़ा फैसला एक रिटायर्ड कर्मचारी के हक में सुनाया गया जिससे साफ हो गया कि जो रिटायर कर्मचारी होते हैं तो उनको जो मिलने वाले लाभ है तो वह उनका अधिकार होता है। यह कोई सरकार द्वारा दिए जाने वाली या फिर उनके इच्छा पर मिलने वाला कोई इनाम नहीं है ना ही किसी तरह की कोई अनुदानित राशि है। तो अगर कोई रिटायर्ड कर्मचारी ऐसा ही है और उनके साथ भी ऐसा अन्याय हो रहा है तो वह उनको मिलने वाले लाभों के लिए आवाज उठा सकते हैं। क्योंकि बहुत सारे सेवानिवृत कर्मचारी हैं जिनके हक में अलग-अलग हाई कोर्ट द्वारा फैसले दिए गए और जो मिलने वाले बेनिफिट है तो वह भुगतान करने के आदेश दिए गए हैं।
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