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EPF Pension Latest News: कर्मचारियों को वेतन के मुताबिक ही मिलेगी पेंशन, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की संशोधित पीएफ पेंशन योजना | Supreme Court nullifies amendments to Employees’ Pension Scheme will remain same as per employees pay scale

एरणाकुलम, 06 नवंबर: कर्मचारी भविष्यनिधि संगठन (ईपीएफओ) की कर्मचारी पेंशन योजना में 2014 से लागू किए गए संशोधनों को केरल हाईकोर्ट ने अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है. इस फैसले से लाखों कर्मचारियों को उनके मौजूदा वेतन के मुताबिक बढ़ी हुई पेंशन मिलने का रास्ता साफ हो गया है. केंद्र सरकार ने 1995 की पेंशन योजना में 1 सितंबर 2014 से संशोधन कर दिया था. इसके खिलाफ ईपीएफ के सदस्य 300 से अधिक कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति सुरेंद्र मोहन और न्यायमूर्ति ए.एम. बाबू की खंडपीठ ने यह संशोधित योजना रद्द कर दी. संशोधित योजना के मुताबिक पेंशन के लिए वेतन की अधिकतम सीमा के बजाय पीएफ में किए गए अंशदान देने का विकल्प चुनने के लिए 1 दिसंबर 2014 तक की मियाद दी गई थी. हाईकोर्ट ने यह मियाद रद्द कर दी और साफ किया कि कर्मचारी यह विकल्प कभी भी चुन सकता है.

सरकार की राय थी कि अगर अधिकतम वेतन के मुताबिक पेंशन दी गई तो कर्मचारियों को अधिक लाभ होंगे. चूंकि कोष घट रहा है, इसलिए पेंशन देना लंबे समय तक संभव नहीं हो पाएगा. इस वजह से संशोधन करके यह प्रावधान किया गया ताकि जिन्हें कम वेतन मिलता है, उन्हें भी बाजिव पेंशन मिले. लेकिन, इस तर्क को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया.

योजना में संशोधन और फैसले का नतीजा 
1. संशोधन के मुताबिक कर्मचारी का वेतन कितना भी हो और वह उसके मुताबिक ईपीएफ में अंशदान देता हो, तब भी पेंशन का हिसाब करने के लिए सितंबर 2014 तक 6,500 रुपए से 15,000 रुपए प्रतिमाह तक को ही पैमाना बनाया गया था. लेकिन, हाईकोर्ट के फैसले से पेंशन का हिसाब आखिरी वेतन के लिहाज से ही करना होगा.

2. इस संशोधन के चलते 15,000 रुपए के वेतन का पैमाना मानकर सेवानिवृत्ति से पूर्व 60 माह के वेतन का औसत निकालकर पेंशन का हिसाब किया जाना था. अब सेवानिवृत्ति के पहले के 12 माह के वास्तविक वेतन के औसत के हिसाब से पेंशन का हिसाब होगा.

3. संशोधन के मुताबिक कर्मचारियों को उनके मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 1.83% रकम पेंशन कोष के लिए अतिरिक्त अंशदान के रूप में भरनी थी. अब यह नहीं भरनी होगी.

Ernakulam, 06 November: The Kerala High Court has canceled the amendments implemented by the Employees' Provident Fund Organization (EPFO) Employee Pension Scheme from 2014, terming it as illegal. This decision has cleared the way for millions of employees to get increased pension according to their current salary. The Central Government had amended the 1995 pension scheme from September 1, 2014. Against this, more than 300 employees of the EPF filed a petition in the High Court.

The High Court's Justice Surendra Mohan and Justice A.M. The Bench's Bench canceled this revised plan. According to the revised plan, the period for the pension was given to the opt-in contribution contribution made in PF instead of the maximum limit of 1 st December 2014. The High Court canceled the term and made it clear that the employee could always opt for this option.

The government was of the opinion that if the pension was given according to the maximum salary then the employees would get more benefits. Since the fund is declining, giving pension will not be possible for a long time. For this reason, this provision was made by amendment so that those who receive low wages also get Bachelor pension. But, this argument was rejected by the High Court. 

The result of amendment and decision in the plan 
1. According to the amendment, whatever the salary of the employee and according to which he contributed to the EPF, according to the calculation of pension till September 2014, it has been calculated from 6,500 to 15,000 rupees per month. went. But, according to the High Court's decision, the pension will be accounted for in the last pay.

2. With this amendment, considering the scale of salary of Rs 15,000, the pension was to be calculated after taking the average of the salary of 60 months before retirement. Now the pension will be calculated according to the average of the actual salary of the first 12 months of retirement. 

3. According to the amendment, the employees had to fill 1.83% of their basic pay and dearness allowance in the form of additional contribution for the pension fund. Now it will not be filled.

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