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EPS 95 Pension Hike?: आखिर EPS 95 पेंशनधारकों पर सरकार कब होगी मेहरबान, EPS 95 पेंशन बढ़ोतरी का ऐलान, 1000 की पेंशन में कैसे कटे बुढ़ापा

संसद की एक समिति ने हाल में कहा कि पेंशन के तौर पर कम से कम 1000 रुपये की रकम अब बहुत कम है। यह जरूरी है कि श्रम मंत्रालय पेंशन राशि बढ़ाने का प्रस्ताव रखे। वह वित्त मंत्रालय से कहे कि इसके कब होगा लिए बजट से सपोर्ट मिले। इसके अलावा ईपीएफओ अपनी सभी पेंशन योजनाओं का मूल्यांकन कराए। श्रम मंत्रालय ने इस सिलसिले में 2018 में एक समिति बनाई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि न्यूनतम पेंशन बढ़ाकर 2,000 रुपये की जाए। इसके लिए बजट से पैसा दिया जाए। लेकिन वित्त मंत्रालय इससे सहमत नहीं हुआ। इस बारे में कई और चर्चा हुई है। नतीजा यही निकला कि जब तक मौजूदा पेंशन स्कीम की वित्तीय स्थिति का सही आकलन नहीं होता, तब तक इसे बढ़ाने की बात नहीं हो सकती।



केंद्र ने ईपीएफओ के कामकाज देखने के लिए पिछले साल चार पैनल बनाए थे। इसमें एक पैनल को पेंशन का मसला भी देखना था। हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईपीएफओ अब ज्यादा पेंशन पर विचार करने के लिए कुछ एक्सपर्ट्स को अपने साथ जोड़ रहा है। इसमें जीवन बीमा, म्युचुअल फंड और पेंशन इंडस्ट्री से जुड़े लोग हैं। इनसे कई तरह के विचार सामने आ रहे हैं। एक ये खाका भी बताया जाता है, जिससे कर्मचारी ऊंची पेंशन के लिए नौकरी के दौरान ज्यादा रकम का योगदान कर सके। अभी पेंशन कम होने की वजह ये है कि कर्मचारी का योगदान भी कम होता है। आगे चलकर मौजूदा पेंशन स्कीम का पूरा हिसाब-किताब भी खंगाला जा सकता है कि इसमें कितने सुधार की गुंजाइश है।


आखिर कैसे कोई बुढ़ापे में महीने भर का खर्च 1000 रुपये में चला सकते हैं? नहीं ना। अगर आप प्राइवेट सेक्टर में जॉब करते हैं और पेंशन के लिए अपनी कंपनी पर निर्भर हैं तो शायद इतने में ही गुजर करना होगा। ये बात हैरत में डालती है और इसके लिए आवाजें उठने लगी हैं। इसमें सरकार से दखल की भी गुजारिश की जा रही है। कई बार सुनने में आया कि पेंशन की रकम बढ़ाने की बात हो रही है, लेकिन अभी तक कुछ हो नहीं पाया है। आखिर मुद्दा कब तक दबा रहेगा। ये हो सकता है कि सरकार अपनी ओर से पेंशन बढ़ाकर वित्तीय बोझ नहीं लेना चाहती। लेकिन ये देखना होगा कि पेंशन के मौजूदा सिस्टम में कितने सुधार की गुंजाइश है। दो कदम सरकार आगे बढ़ाए, दो कदम कर्मचारी आगे बढ़ें तो बात बन सकती है।

कर्मचारी पेंशन योजना 1995 को EPFO मैनेज करता है

प्राइवेट कंपनियां अपने कर्मचारियों को प्रॉविडेंट फंड से जोड़ती हैं। इसमें कंपनी और कर्मचारी दोनों की तरफ से पैसा जमा कराया जाता है। इस पैसे को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी EPFO मैनेज करता है। कर्मचारी जब रिटायर होते हैं, तो उन्हें इसका रिटर्न दो तरह से मिलता है। एक प्रॉविडेंट फंड के तौर पर, दूसरा हिस्सा पेंशन के जरिये। प्रॉविडेंट फंड की रकम एकमुश्त मिलती है। दूसरी तरफ पेंशन मंथली बेसिस पर तय की जाती है। फिलहाल न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये है, जिसे आठ साल पहले तय किया गया था। ट्रेड यूनियनों की मांग रही है कि इसे कम से कम 6000 रुपये किया जाए, जबकि आम अनुमान ये है कि ईपीएफओ अगर बढ़ोतरी करे तो यह रकम 3000 रुपये से ज्यादा नहीं हो पाएगी।

अब आप ये देखें कि आप कितना पैसा जमा करते हैं। हर कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 पर्सेंट हिस्सा EPFO के पास जाता है। कंपनी भी इतना ही पैसा जमा कराती है। लेकिन कर्मचारी का पूरा हिस्सा प्रॉविडेंट फंड में जाता है, जबकि कंपनी का 8.33 पर्सेंट हिस्सा पेंशन स्कीम में जाता है। ये एक नियम है कि जिस भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता 15,000 रुपये या उससे कम है, उसे पेंशन स्कीम से जोड़ना जरूरी है। लेकिन बाकी के लिए ये जरूरी नहीं है। कई बार नौकरी गंवा देने पर या किसी और कारण से कर्मचारी पूरा का पूरा योगदान बीच में ही निकाल लेते हैं। इसमें पेंशन के लिए दी गई रकम भी शामिल होती है। इससे पेंशन का मकसद अधूरा रह जाता है। पेंशन की रकम को प्रॉविडेंट फंड से अलग रखने की जरूरत महसूस की गई है।


 


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