सुप्रीम कोर्ट में पेंशनरों के हितार्थ केस करने वाले बताएं
1) क्या उन्होंने EPFO के 1.9.2014 को जायज ठहराने के लिए केस लड़ा? नहीं तो इस केस में वो कैसे संदर्भित हो गये?
क्या 1 सितंबर 2014 को जो सेवा में थे और 58 साल से कम उम्र की आयु में सेवा में थे उन्होंने आपको आर्थिक सपोर्ट किया या इस केस में आर्थिक सहयोग 31.10.2014 से पहले रिटायर हुए उन पेंशनरों ने किया।
क्योंकि फैसला जो आया है वह साबित करता है कि आपने यह केस वास्तविक उन के लिए नहीं लड़ा गया जिन्होंने वास्तव में अपना तन मन खर्च करके आपको आर्थिक सहायता की अन्यथा ऑडिट रिपोर्ट जारी करके सार्वजनिक रूप से यह साबित होना चाहिए कि 1.9.2014 या उसके बाद सेवारत कर्मचारियों ने आपको केस लड़ने के लिए पैसा दिया?
2) क्या आप उन छूट प्राप्त कंपनियों से सेवानिवृत्त पेंशनरों के लिए लड़े जिन्हें 31.5.2017 की अंतरिम एडवाइजरी के द्वारा जरिए सुप्रीम कोर्ट के ही आरसी गुप्ता केस एवं ईपीएफओ के 23.3.2017 के तहत मिलने वाले लाभों से वंचित कर दिया गया।
3) इस केस के लिए कर्मचारियों की तरफ से आपको आर्थिक सहायता ऊपर दोनों में से किस वर्ग ने प्रदान की यह देश के पेंशनरों के सामने स्पष्ट होना चाहिए? ताकि जनमानस में यह स्पष्ट हो जाए कि किसी ने उनके साथ डबल क्रॉसिंग नहीं करी।
4) अपनी आत्मग्लानि के वशीभूत शर्मसार हो यह कहा जा रहा है कि 31 अक्टूबर 2014 से पूर्व रिटायर्ड लोग जो इस फैसले से लाभान्वित नहीं हो पाए उनके लिए लड़ाई जारी रहेगी तो यह बताएं कि यदि आप लड़कर दो-तीन साल में उनके हित में फैसला करवा भी देंगे तो क्या वह वास्तव में ये पेंशनर लाभार्थी बन पाएंगे क्योंकि आरसी गुप्ता केस में किसी सुप्रीम कोर्ट में यह व्यवस्था दी है कि पीएफ का जो पैसा रिटायरमेंट के टाइम कर्मचारी ने ले लिया है उसे एप्लीकेशन के साथ मय ब्याज के एकमुश्त लौटाना होगा परंतु पेंशन का एरियर बगैर ब्याज के मिलेगा।
आज की तारीख में देश में एक भी पेंशनर ऐसा नहीं है जो 31 अक्टूबर 2014 से पहले रिटायर्ड हो गया हो और वह 16.नबम्बर 1995 से आज तक अपने पूरी वेतन पर PF पर EPFO द्वारा निर्धारित दर वाले ब्याज सहित PF फंड का पैसा पेंशन खाते में जमा करवा सकें। जो पेंशनर पति-पत्नी के मरने के बाद ईपीएफओ के पास ही रह जाएगा।
मेरे उपरोक्त का जवाब श्रीमान कोहली जी, कमांडर अशोक राऊत अथवा श्री युत गुरमुख सिंह किसी के पास हो तो तर्क एवं सबूत सहित प्रस्तुत करें वरना देश के पेंशनरों की भावनाओं से खिलवाड़ करना बंद करें।
देश के पेंशनरों से भी गुजारिश करता हूं कि इस देश में ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि जब कोई मूर्ख बनने को तैयार है तो हम मूर्ख क्यों नहीं बनाए, जो स्वयं रुकने को तैयार है उसको लूटने में बुराई ही क्या है ऐसे लोगों के जरिए मूर्ख होने से एवं लुटने से बचे और जो कुछ धन आपके पास बचा है उसे संभाले रखें और अपने तन मन धन की रक्षा स्वयं करें
मेने आपके समक्ष वास्तविकता रख दी बाकी आपकी मर्जी,
शुभेच्छु:-
रणजीत सिंह दसूंदी,
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