EPS 95 पेंशनरों के लिए अच्छी खबर है। उच्च पेंशन तय करने के मामले में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की अपील पर सुप्रीम कोर्ट 8 नवंबर को फैसला सुना सकता है। इसमें कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना 2014 को रद्द कर दिया था।
दरअसल, प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित 8 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं, ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि रिटायरमेंट से पहले वे पेंशन तय करने वाले मामले पर फैसला सुना सकते है। ईपीएफओ ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर केरल हाई कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट के फैसलों को चुनौती दी है। इन तीनों ही हाई कोर्ट ने कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना 2014 को रद्द कर दिया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केरल हाईकोर्ट ने 2018 में कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014 को रद्द करते हुए, 15,000 रुपये प्रति माह की सीमा से ऊपर के वेतन के अनुपात में पेंशन देने की अनुमति दी थी और कहा था कि योजना में शामिल होने कोई कट-ऑफ तारीख नहीं हो सकती। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ EPFO द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले EPFO- केंद्र सरकार द्वारा दाखिल पुनर्विचार अर्ज़ी में SLP की बर्खास्तगी को वापस ले लिया गया ।फिर सुप्रीम कोर्ट की 2 न्यायाधीशों की पीठ ने अगस्त 2021 में विचार के लिए फिर मामला 3 न्यायाधीशों की पीठ को भेजा ।क्या कर्मचारी पेंशन योजना के पैराग्राफ 11 (3) के तहत कोई कट ऑफ तारीख होगी या फिर आरसी गुप्ता बनाम क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त (2016) का फैसला शासी सिद्धांत यानी गर्वनिंग प्रिंसिपल होगा, जिसके आधार पर इन सभी मामलों को निपटाया जाना चाहिए।
EPFO की मुख्य दलील यह है कि पेंशन फंड और PF दोनों अलग अलग है और PF की सदस्यता पेंशन फंड की सदस्यता में तब्दील नहीं होती ।वही पेंशन योजना कम उम्र के कर्मचारियों के लिए है और अगर कट आफ सीमा से अधिक वेतन पाने वालों को पेंशन प्राप्त करने की अनुमति दी जाती है तो फंड असंतुलित होगा।
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