छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में लागू होने के बाद और आगामी चुनावों के पहले देश के कई राज्यों में पुरानी पेंशन योजना (old Pension Scheme) बहाली की मांग तेज हो चली है। हिमाचल प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश में कर्मचारी-पेंशनर्स राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। इसी बीच सत्ता से बाहर बैठक कांग्रेस ने बड़ा दांव खेल सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। हिमाचल प्रदेश और गुजरात के बाद अब कांग्रेस ने एमपी में दोबारा सरकार बनने पर पुरानी पेंशन बहाल करने का ऐलान किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ऐलान किया है कि अगर मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो पुरानी पेंशन योजना को दोबारा से लागू किया जाएगा। उन्होंने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर साफ कर दिया है कि अगर कांग्रेस की सरकार बनती है, तो तुरंत ही पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी जाएगी। खास बात ये है कि कमलनाथ ने ये ऐलान ऐसे समय पर किया है जब 2 अक्टूबर को प्रदेशभर में लाखों कर्मचारी आंदोलन करने वाले है। कमलनाथ के बीते विधानसभा चुनाव में कर्जमाफी के मास्टर स्ट्रोक के बाद आगामी चुनावों से पहले इस वादे ने सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है। 1 जनवरी 2005 के बाद भर्ती अधिकारी-कर्मचारियों के लिए अंशदायी पेंशन योजना लागू है।
ऐसे समझें पूरा गणित
- वर्तमान में अंशदायी पेंशन के तहत कर्मचारियों के मूल वेतन से 10% राशि काटी जाती है, जिसमें 14 % सरकार मिलाती है। ब्याज सहित कुल जमा राशि का 40 से 60 % हिस्सा कर्मचारी को सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त देते हैं और शेष राशि से पेंशन मिलती है, जो वर्तमान में 500 से 3 हजार रुपये तक है।
- OPS अगर रिटायरमेंट के दौरान जिस का वेतन 50000 रू मासिक होगा उसको करीब 25000 रू मासिक पेंशन आजीवन मिलेगी। हर साल दो बार DA बढ़ता है और पेंशनर की मौत होने पर उसकी पत्नी को परिवार पेंशन दी जाती है। OPS बहाल होने से अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने हिस्से की 10% की बचत होगी और लाइफ टाईम पेंशन के रूप में आधा वेतन मिलता रहेगा।
- 1 जनवरी 2005 के बाद प्रदेश में 3.35 लाख से ज्यादा कर्मचारी सेवा में आ चुके हैं, जो पेंशन नियम-1972 के दायरे में नहीं आते। 2.87 लाख अध्यापक संवर्ग से हैं, जो 2008 में सरकारी शिक्षक बन गए। बचे हुए 48 हजार पर नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) लागू है।
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