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Employee News Today: केंद्र सरकार की पेंशन विरोधी निति के खिताफ 26 सितंबर को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारी संख्या में रक्षा उद्योग से जुड़े कर्मी पहुंचेंगे

केंद्र सरकार में पुरानी पेंशन बहाली की मांग जोर पकड़ती जा रही है। तीस लाख से अधिक कर्मियों को एक प्लेटफार्म पर लाने के प्रयास शुरू हुए हैं। इन सभी का मकसद है कि नेशनल पेंशन स्कीम यानी 'एनपीएस' को खत्म किया जाए। केंद्र सरकार दोबारा से 'पुरानी पेंशन व्यवस्था' का लाभ देना शुरू करे। 'स्टाफ साइड' की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य (जेसीएम) एवं अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ 'एआईडीईएफ' के महासचिव श्रीकुमार का कहना है, केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन खत्म कर कर्मियों के साथ धोखा किया है।

एनपीएस में अगर कोई कर्मी अपनी 25 साल की सेवा के बाद रिटायर होगा, तो उसे दो-चार हजार रुपये पेंशन मिलेगी। पुरानी पेंशन व्यवस्था में रिटायरमेंट होते ही कर्मचारी को उसकी अंतिम बेसिक सेलरी का 50 फीसदी मिलता था, जिसमें महंगाई राहत भी जुड़ती थी। 26 सितंबर को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारी संख्या में रक्षा उद्योग से जुड़े कर्मी पहुंचेंगे। इसके अलावा 22 सितंबर को देश की 436 डिफेंस यूनिटों में केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा।

अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ 'एआईडीईएफ' के महासचिव श्रीकुमार ने कहा, केंद्र सरकार द्वारा लाखों कर्मियों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। 2004 में पुरानी पेंशन व्यवस्था को खत्म कर दिया गया और उसके स्थान पर एनपीएस ले आए। सेना को छोड़कर बाकी विभागों में पेंशन व्यवस्था बंद कर दी गई। गत वर्ष सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने की राह पकड़ ली। दो सौ वर्ष से भी पुराने आयुद्ध कारखानों को सात कंपनियों में तब्दील कर दिया गया। अब सेना में चार साल वाले 'अग्निवीर' भर्ती कर रहे हैं।

श्रीकुमार कहते हैं, केंद्र सरकार के सभी विभागों में एनपीएस को लेकर भारी रोष व्याप्त है। कर्मियों को इससे भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। उनकी सामाजिक सुरक्षा की गारंटी भी नहीं रही। रिटायरमेंट के बाद सरकारी कर्मियों को जानबूझकर कष्टों में धकेला जा रहा है। एनपीएस को लागू हुए 18 साल हो चुके हैं। इस योजना में शामिल कोई कर्मचारी रिटायर होता है, तो उसे महज तीन-चार हजार रुपये पेंशन मिलती है। पुरानी पेंशन व्यवस्था में रिटायरमेंट के बाद कर्मी को पेंशन के तौर पर उसकी बेसिक वेतन का 50 फीसदी मिलता था। दूसरे लाभ भी रहते थे। महंगाई राहत भी जुड़ जाती थी। एनपीएस में ये सब नहीं है। पुरानी पेंशन व्यवस्था में 40 फीसदी एडवांस ले सकते हैं। इसके 15 साल बाद 40 फीसदी पेंशन वापस मिलती है। एनपीएस तो मार्केट आधारित व्यवस्था है। इसमें आर्थिक फायदा कम, जबकि नुकसान ज्यादा होता है, क्योंकि बाजार में सदैव जोखिम की गुंजाइश बनी रहती है।

पुरानी पेंशन व्यवस्था में यह प्रावधान है कि रिटायरमेंट वाले कर्मी की आयु 80 साल के पार होती है, तो उसकी पेंशन में बीस फीसदी का इजाफा हो जाता है। अगर कोई 100 वर्ष तक जीवित रहता है, तो उसे बेसिक पे जितनी पेंशन मिलती है। कुछ समय पहले संसदीय समिति ने यह सिफारिश की है कि 65 की आयु तक पेंशन में पांच फीसदी की बढ़ोतरी की जाए। इसके बाद यदि पेंशनधारक 70 वर्ष की आयु पार कर लेता है, तो दोबारा से उसकी पेंशन में पांच फीसदी का इजाफा कर दिया जाए। 80 वर्ष के बाद पेंशन में बीस फीसदी बढ़ोतरी करने की बात कही गई है। ऐसा इसलिए किया गया कि बहुत से लोगों का जीवन काल 80 साल तक कम ही पहुंच पाता है। पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने यहां एनपीएस को लागू ही नहीं किया। वहां पुरानी पेंशन व्यवस्था चल रही है। अब झारखंड, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में भी पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू हो गई है। 26 सितंबर को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के जरिए देशभर के रक्षा कर्मी केंद्र सरकार को चेताएंगे। इसके बाद दूसरे विभागों के साथ समन्वय कर केंद्र के खिलाफ हल्लाबोल होगा। अगर केंद्र सरकार अब पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू नहीं करती है तो उसे 2024 के लोकसभा चुनाव में खामियाजा भुगतना पड़ेगा।




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