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EPS 95 Pension Case: Supreme Court Final Judgment On Appeals Of EPFO

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 11 अगस्त को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की ओर से कुछ राज्यों की चुनौती देने वाली अपीलों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने केरल, राजस्थान और दिल्ली हाईकोर्ट के उन फैसलों को चुनौती देने वाली अपीलों पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। दरअसल कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना, 2014 को रद्द कर दिया था। इस योजना में अधिकतम पेंशन योग्य वेतन की सीमा 15 हजार रुपये तय की गई थी।



EPFO की याचिका कर दिया गया था खारिज: गौरतलब है कि इससे पहले 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ ईपीएफओ की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाएं खारिज करने के अपने पुराने फैसले पर पुनर्विचार का निर्णय लिया और इस मामले में पुन: सुनवाई की बात कही। अब इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

दरअसल, कर्मचारियों के लिए अधिकतम पेंशन योग्य वेतन 15 हजार रुपये प्रति माह तक सीमित है। यानी किसी कर्मचारी की सैलरी जो भी हो लेकिन उसके पेंशन की गणना सिर्फ 15 हजार रुपये के हिसाब से तय की जाएगी। फिलहाल इस सीमा को हटाने का मामला कोर्ट में चल रहा है।



इस मुद्दे को इस तरह से समझा जा सकता है। जब हम कहीं जॉब जॉइन करते हैं। और हमारा ईपीएफओ अकाउंट खुल जाता है। काम करने वाला कर्मचारी अपने वेतन का 12 फीसदी EPF के रूप में जमा करता है। इसके बदले उसकी कंपनी भी उसे उतनी ही रकम देती है। लेकिन इस रकम का सिर्फ 8.33 फीसदी हिस्सा ही जाता है। ऐसे में अगर 15 हजार की सीमा हटा दी जाती है और आपका मूल वेतन 20 हजार रुपये हो जाता है तो पेंशन की राशि भी बढ़ जाएगी।


माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष शुरू से यानि 2.8.2022 से लगातार पूरी कार्यवाही देख रहे हैं, एक बात कह सकते हैं कि सभी ने अपनी दलीलें जबरदस्ती रखीं, चाहे वह EPFO/भारत सरकार के वकील हों या पेंशनभोगी। यद्यपि EPFO के वकीलों की दलीलें हम सभी पेंशनभोगियों के लिए सुपाच्य या अच्छी नहीं हैं, उन्होंने भी माननीय पीठ को समझाने की पूरी कोशिश की थी। एक बात और कहा जा सकता है कि माननीय न्यायाधीशों की पूरी पीठ काफी खुली और ग्रहणशील थी और इस मुद्दे की गहराई में जाने के लिए सरल प्रश्न पूछने में भी संकोच नहीं किया ताकि निष्पक्ष निर्णय दिया जा सके।

यह मेरा ईमानदार आकलन है। पहले की तरह, यह भी कहा जाता है कि कोई भी फैसले की भविष्यवाणी नहीं कर सकता है लेकिन एक बात होती है कि माननीय बेंच द्वारा पेंशनभोगियों के हितों को अच्छी तरह से ध्यान में रखा जाएगा। दोस्तो अब दोनों पक्षों को सुना गया और "जजमेंट इज रिजर्व्ड"।


 


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