भारतीय सेना से रिटायर हुए कई अधिकारियों और जवानों को पेंशन मिलने में दिक्कत हो रही थी। कुछ की पेंशन दो महीने से नहीं आई तो कुछ को एक महीने की पेंशन नहीं मिली। रिटायर्ड अधिकारियों ने अपनी बात रक्षा मंत्रालय तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया था। कई रिटायर्ड अधिकारियों ने इस संबंध में ट्वीट किया है और नाराजगी जाहिर की है। रक्षा मंत्रालय ने 24 घंटे के भीतर इस मामले में राहत दी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 58,275 पूर्व सैनिकों के जीवित प्रमाण पत्र वेरिफाई नहीं हुए थे। ये पिछले साल नवंबर तक होने थे, लेकिन अब उन्हें 25 मई तक का वक्त दिया गया है। सभी की पेंशन बुधवार शाम तक अकाउंट में आ जाएगी बताया था।
दरअसल पेंशन के लिए नए सिस्टम की वजह से ये दिक्कतें आई। एक अधिकारी ने बताया कि पेंशन देने की जिम्मेदारी प्रिंसिपल कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट्स- पेंशन (पीसीडीए-पी) की है, जिसका ऑफिस इलाहाबाद में है।
पहले पूर्व सैनिकों को पेंशन उनके बैंक के जरिए ही मिलती थी। जिसका बैंक अकाउंट जिस भी बैंक में होता था, वह बैंक तय तारीख को पेंशनर के अकाउंट में पेंशन की राशि दे देता था। अगर किसी को कोई दिक्कत होती थी तो वह अपने बैंक की ब्रांच में जाकर बताते थे और बैंक उसका समाधान करता था। साथ ही बैंक इस इंतजार में नहीं रहते थे कि सरकार से उनके अकाउंट में पेंशन की राशि क्रेडिट हुई है या नहीं। वह उसका इंतजार किए बिना तय तारीख को पेंशन अकाउंट में दे देते थे। फिर सरकार उन्हें पेमेंट कर देती थी। साथ ही बैंक को सर्विस चार्ज भी देती थी। यह सर्विस चार्ज ही हजारों करोड़ों रुपये में होता था। फिर रक्षा मंत्रालय ने तय किया कि इस खर्च को बचाया जाए और कहा गया कि अब बैंक के जरिए नहीं बल्कि सीधे पीसीडीए-पी ही पेंशनर के अकाउंट में पेंशन की राशि डालेंगे। इससे पेंशन देने में बैंक का रोल खत्म हो गया।
पेंशन के लिए सरकार ने बनाया है नया पोर्टल
सरकार ने पेंशन के लिए एक नया पोर्टल बनाया- स्पर्श। इसमें डिजिटल डेटा होता है और उसी हिसाब से पेंशन दी जाती है। इसे पिछले साल 1 सितंबर से लागू किया गया। उसके बाद रिटायर होने वाले अधिकारियों-जवानों के लिए यह कंपसलरी कर दिया गया। साथ ही जो पूर्व सैनिक पुराने सिस्टम के जरिए पेंशन ले रहे थे उन्हें भी धीरे धीरे नए सिस्टम में माइग्रेट करना शुरू किया गया। सभी पेंशनर्स को नवंबर के महीने में जीवित प्रमाण पत्र देना होता है। पहले पूर्व सैनिक इस प्रमाण पत्र को अपने बैंक में जमा कर देते थे और कोई दिक्कत नहीं आती थी। लेकिन अब नए सिस्टम में उसे स्पर्श पोर्टल में अपलोड करना है। कुछ पूर्व सैनिकों ने अपने बैंक के जरिए ही यह जमा कराया। कुछ बैंक ने तो उसे पोर्टल पर अपलोड कर दिया लेकिन कुछ बैंक ने नहीं किया। जिनके जीवित प्रमाण पत्र अपलोड नहीं हुए उनकी पेंशन रुक गई। इस तरह कुछ पूर्व सैनिकों को दो महीने की पेंशन नहीं मिल पाई तो कुछ तो एक महीने की।
मेजर जनरल अशोक कुमार (रिटायर्ड) कहते हैं कि स्पर्श के पोर्टल में सॉफ्टवेयर रिलेटेड कुछ दिक्कतें आ रही हैं, जो उम्मीद हैं कि धीरे धीरे ठीक हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग हैं जो तकनीक को लेकर इतने फ्रेंडली नहीं है। ऐसे में पूर्व सैनिकों को दिक्कत से बचाने के लिए पीसीडीए-पी को प्रो-एक्टिव होना चाहिए। जब कोई भी नए सिस्टम में माइग्रेट हो रहा है तो उसकी पूरी जानकारी दी जानी चाहिए। अगर तय वक्त में किसी का सर्टिफिकेट नहीं मिला तो उन्हें फोन कर इसकी जानकारी दी जानी चाहिए ताकि किसी की पेंशन ना रूके। अगर पीसीडीए-पी प्रोएक्टिव हो जाए तो यह सारी दिक्कतें दूर हो सकती थी। वहां कॉलिंग लाइन बढ़ाई जानी चाहिए। क्योंकि पहले सब अपने बैंक ब्रांच में जाकर बात कर लेते थे लेकिन अब सबको किसी भी दिक्कत के लिए इलाहाबाद ऑफिस बात करनी होती है।
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