7). “भगतसिंह कोश्यारी समिति” की सिफारिशों का कार्यान्वयन न करना
2014 से पहले, कुछ पेंशनभोगियों को 200-300/- रुपए मासिक पेंशन मिल रहे हैं. 2000- 2001 के आसपास सेवानिवृत्त हुए लोगों की आयु लगभग 80 वर्ष से अधिक हो चुकी है. कम ‘पेंशन योग्य वेतन’ और कम ‘पेंशन योग्य सेवा’ का कारण बताकर उन्हें बहुत कम पेंशन दिया जा रहा था. इन पेंशन भोगियों की बेहद खराब स्थिति को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन सांसद विपक्षी दल (भारतीय जनता पार्टी) के नेता श्री प्रकाश जावड़ेकर ने राज्यसभा में एक याचिका दायर की थी. श्री जावड़ेकर की उक्त याचिका को स्वीकार किया गया.
याचिका 7-11-2012 को स्वीकार की गई थी. भारत सरकार ने तत्कालीन सांसद श्री भगतसिंह कोश्यारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया. श्री जावड़ेकर द्वारा 23-11-2013 को याचिका प्रस्तुत की गई और फिर इसे समिति को स्थानांतरित कर दिया गया.
याचिका में कहा गया था कि ईपीएस-95 पेंशनभोगियों को बहुत कम पेंशन मिल रहा है और इसे बढ़ाकर न्यूनतम पेंशन 3000 रुपए करने की जरूरत है और इसे मूल्य सूचकांक से जोड़ा जाना चाहिए.
समिति ने 3-01-2013 को याचिका पर सुनवाई की. 5-02-2013 को सरकारी अधिकारियों को सुना, 29-07-2013 को अन्य को सुना और 29-08-2013 को मसौदे पर विचार किया. अवलोकन की अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की सितंबर 2013 में.
भारत सरकार को सिफारिशें
कमिटी ने न्यूनतम पेंशन 3000/- रुपए और उसी पर तदनुरूपी महंगाई भत्ते की सिफारिश की. समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिशों की व्यवहार्यता के लिए भी सुझाव दिया.
कमिटी की उक्त सिफारिश के बावजूद भारत सरकार (तत्कालीन कांग्रेस पार्टी सरकार) ने न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 1000/-.रुपए करने बात कही. जबकि विपक्षी दल (भारतीय जनता पार्टी) डीए और न्यूनतम 3000 रुपए पेंशन की मांग कर रहा था.
फिर, 2014 में संसद के चुनाव हुए और भारतीय जनता पार्टी की नई सरकार सत्ता में आई. भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने चुनावी अवधि में आश्वासन दिया कि यदि उनकी सरकार सत्ता में आती है तो वे भगतसिंह कोश्यारी कमिटी की सिफारिश को लागू करेंगे, न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 5000/- रुपए करेंगे और इसी के साथ डीए का भुगतान भी करेंगे.
अब, भारतीय जनता पार्टी की सरकार पिछले सात वर्षों से सत्ता में है, लेकिन उसने भगतसिंह कोश्यारी समिति की सिफारिश को लागू नहीं किया है और एक पैसा भी पेंशन में वृद्धि नहीं की है. श्री प्रकाश जावड़ेकर, जिन्होंने याचिका दायर की थी, पिछले सात वर्षों से भारत सरकार में मंत्री हैं, फिर भी अब वे ईएफएस-95 पेंशन के बारे में एक शब्द भी नहीं बोल रहे हैं.
जिस पार्टी ने महंगाई भत्ता सहित न्यूनतम 3000/- रुपए की पेंशन की मांग की है, वह पिछले सात वर्षों से सत्ता में है, हालांकि, निर्वाचित होने से पहले दिए आश्वासन के बाद भी इस पेंशन में वृद्धि नहीं हुई है.
जैसा कि ऊपर कहा गया है, लगभग 30 लाख पेंशन भोगियों को 1000/- रुपए से कम मासिक पेंशन मिल रहा है. जबकि प्रासंगिक रूप से वे बहुत अधिक उम्र के हो चुके हैं, लगभग 80 वर्ष से भी अधिक.
8). पेंशनभोगियों की एक और पीड़ा यह है कि वे पेंशन योजना के सदस्य हैं, वे राज्य सरकार या केंद्र सरकार की कोई अन्य पेंशन पाने के पात्र नहीं हैं और न ही प्राप्त कर रहे हैं, जैसे कि श्रावण बाल पेंशन योजना, संजय गांधी निराधार योजना आदि पेंशन योजनाओं के तहत राज्य सरकारें वयोवृद्धों को पेंशन दे रही हैं. .
ध्यान देने की बात है कि EPS-95 एकमात्र पेंशन योजना है, जिसे पिछले 20 वर्षों से संशोधित नहीं किया गया है. इस योजना के तहत पेंशन भोगियों को पिछले 20 वर्षों से वही समान पेंशन दिया जा रहा है.
दूसरी ओर, राज्य सरकार की पेंशन, केंद्र सरकार की पेंशन, अन्य पेंशन श्रवण बाल पेंशन योजना, संजय गांधी निराधार योजना आदि को समय-समय पर संशोधित किए जाते हैं. दुर्भाग्य की बात है कि, ईपीएस-95 पेंशन योजना की समीक्षा और इसमें संशोधन नहीं किया जाता है. यह मौलिक का उल्लंघन है.
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