EPS 95 पेंशनरों के नैसर्गिक अधिकार का हनन
भुगतान की जा रही पेंशन की राशि चिकित्सा व्यय के लिए और जीवित रहने के लिए भी पर्याप्त नहीं है, जो कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत उनके जीवन के अधिकार का भी उल्लंघन है.
पेंशन आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से जुड़ी नहीं है और बैंकों की जमा राशि पर बैंकों की ब्याज दरों में कमी ईपीएस-95 के पेंशनरों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है. इस कारण वे बहुत कठिन परिस्थितियों में जी रहे हैं.
ईपीएस-95 के पेंशनरों को इंसान, देश के नागरिक और समुदाय के हिस्से के रूप में मानने के लिए, उन्हें सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक न्याय, सामाजिक स्थिति और जीवन की गरिमा दी जानी चाहिए और इसलिए, आप से (ILO से) हस्तक्षेप कर ईपीएस पेंशन भोगियों को न्याय दिलाने का अनुरोध किया जा रहा है.
ILO से अनुरोध –
ईपीएस पेंशनभोगियों के साथ हो रहे अन्याय और इस गंभीर समस्या पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने और भारत सरकार को निर्देश जारी करने के लिए अनुरोध किया जाता है. ILO से अपेक्षा है कि
1). पेंशन को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने के साथ ईपीएस-95 पेंशन योजना को ठीक से लागू करवाने की कृपा करें
2). सभी पात्र पेंशनभोगियों के मामले में आर.सी. गुप्ता के मामले में भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 4-10-2016 को लागू करें और ईपीएफओ द्वारा जारी परिपत्र दिनांक 31-05-2017 को रद्द करें.
3). जीएसआर 609(ई) दिनांक 22-08-2014 के तहत पेंशन योजना में किए गए संशोधनों को रद्द कराएं और माननीय केरल उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 12-10-2018 और माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 1-04-2019 का पालन करवाएं.
4). भगतसिंह कोश्यारी समिति की सिफारिशों को लागू करें.
5). पेंशनरों की अवैध रूप से रोकी गई संशोधित पेंशन को (बिना छूट वाले प्रतिष्ठानों) तुरंत बहाल करें और ब्याज सहित उसका भुगतान करें.
6). भारत के सर्वोच्च न्यायालय में भारत सरकार द्वारा दायर SLP और EPFO द्वारा दायर समीक्षा याचिका को वापस लिया जाए एवं संशोधनों को अलग करते हुए केरल उच्च न्यायालय के आदेश के कार्यान्वयन में देरी न करें.
7). पेंशन भोगियों के हितों के खिलाफ दायर किए गए सभी मामलों/अपीलों को वापस लें और पेंशनभोगियों को अपने जीवन के अंतिम समय में कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर न करें.
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