दिल्ली हाई कोर्ट ने नॉर्थ एमसीडी की एक याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि सैलरी और पेंशन पाना कर्मचारी और सेवानिवृत्त कर्मचारियों का मौलिक अधिकार है। इसके साथ ही कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के विज्ञापन पर खर्च को लेकर भी फटकार लगाई। निगम ने कोर्ट से कर्मचारियों के बकाया भुगतान के लिए और अधिक समय की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी।
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की। बेंच ने उस याचिका को खारिज किया है जिसमें सभी सेवारत और रिटायर्ड कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के भुगतान के लिए समय सीमा 5 अप्रैल से बढ़ाकर 30 अप्रैल किए जाने की मांग की गई थी।
इस पर कोर्ट ने कहा कि, “वेतन और पेंशन पाना सभी कर्मचारियों का मौलिक अधिकार है, यह संविधान में जीवन और आजादी के तहत आता है। इसलिए हम ऐसा कोई आदेश जारी नहीं कर सकते जिससे कर्मचारियों के अधिकारों का हनन हो। फंड उपलब्ध न होना, वेतन और पेंशन न देने का आधार नहीं हो सकता है। निगम ने कर्मचारियों को सेवाएं देने के लिए नियुक्त किया है तो यह उस पर निर्भर करता है कि वह अपने कर्मचारियों के भुगतान का रास्ता तलाश करे। इससे पहले कोर्ट ने 9 मार्च को दिल्ली की तीनों एमसीडी को सभी मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों का वेतन और पेंशन 5 अप्रैल से पहले भुगतान करने का आदेश दिया था।
5 अप्रैल को नॉर्थ एमसीडी के वकील दिव्य प्रकाश पांडे ने फंड उपलब्ध न होने की बात को आधार बनाते हुए बकाया भुगतान के लिए समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा- दिल्ली सरकार बेसिक टैक्स असाइनमेंट (BTA) का पूरा भुगतान नहीं हुआ है। निगम के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने रकम का भुगतान तो किया है लेकिन इसमें कुछ कटौती हुई है।
दिल्ली सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट संदीप सेठी ने केंद्र से पैसा न मिलने की बात कही। फंड की कमी वाले तर्क पर बेंच ने आम आदमी पार्टी के अखबार में रोजाना नेताओं के विज्ञापन पर सवाल उठाए, और पूछा कि विज्ञापन के लिए पैसा कहां से आ रहा है? इस समय प्रचार पर पैसे खर्च किए जा रहे हैं। क्या यह अपराध नहीं है? इन कर्मचारियों का वेतन भुगतान करने से सरकार की ख्याति बढ़ेगी ही।
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