EPS 1995 पैंशन वाद पर बहस करने के लिये केवल दो ही मुद्दे है तीसरा नही अत: बहस कम से कम आधा दिन व अधिकतम् दो दिन हो सकती है। EPS 1995 पैंशन योजना केवल अंशदान पर आधारित है अत: नियोक्ता 8.33% के अनुसार जितना अंशदान , EPFO के द्वारा संचालित पैंशन फण्ड मे जमा करायेगा, उसी के अनुरूप EPFO पैंशन निर्धारित करेगी , केन्द्र सरकार का अंशदान 1.67% होगा।
अब आता हू बिन्दू संख्या एक जिस पर बहस होनी है, वह है 31/5/2017 की ऐडवाइजरी। सुप्रिम कोर्ट निर्णय दिनाक 4/10/2016 सीधे लागू नहि हुऐ ओर न ही EPFO ने दिनाक 23/3/2017 के आदेश सीधे जारी किये।सुप्रिम कोर्ट के उक्त निर्णय पर पांच संस्थाओ मे मंथनो पश्चात निर्देश जारी किये, जारी निर्देशो की अनुपालना करते हुये ही EPFO ने दिनाक 23/3/2017 को आदेश जारी किये।
जब कि EPFO ने बिना किसी उक्त संस्थाओ की स्वीकृती के अपने स्तर पर दिनाक 31/5/2017 की ऐडवाइजरी जारी की जिसे KHC ने अपास्त कर दिया। सुप्रिम कोर्ट 31/5/2017 की ऐडवाइजरी को अपास्त ही रखेगा क्यो कि अपास्त नही करने पर उक्त पांच संस्थाओ के अस्तीत्व पर प्रश्न चिन्ह लग जायेगा जिसमे सम्बन्धित मंत्रालय भी सम्मीलित है । उक्त तर्क के आधार पर बहस मे दम नही है अत: सुनवाई कितनी देर चलेगी?
दूसरा बिन्दू GSR No. 609 है जिस पर बहस होनी है GSR No. 609, GOI का एक Policy matter है जिसे KHC ने अपास्त कर दिया। केन्द्र सरकार की कार्यप्रणाली केवल Policy matter पर आधारित है क्यो कि किसी भी कार्य को करने से पहले GOI के द्वारा सम्बन्धित Policy matter बनाया जाता है तत्पश्चात उस पर कार्यवाही सूनिश्चित की जाती है बिना Policy matter के कोई कार्य सम्पादन नही होता ऐसी स्थिति मे KHC के द्वारा GSR No. 609 को अपास्त करना GOI को कार्यवाही करने से रोकना है, यदि सुप्रिम कोर्ट KHC के निर्णय को यथावत रखती है तो कल दूसरी Policy को भी निरस्त करने के लिये कोर्ट मे वाद दायर होना निश्चित है अत: सुप्रिम कोर्ट विषम परिस्थितियो को ध्यान मे रखते हुऐ GSR No. 609 को पुन: यथावत जारी रखने के आदेश जारी कर सकती है। बहस मे दम है अत: सुनवाई एकाध दिन चल सकती है।
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