आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के एक पूर्व जिला और सत्र न्यायाधीश द्वारा दिए गए फैसले को राज्य सरकार ने चुनौती दी थी जिसमे में केवल ब्याज दर के मुद्दे को सीमित रखा था। राज्य सरकार ने तर्क दिया कि राज्य ने वेतन और पेंशन के भुगतान को स्थगित करने का निर्णय लिया था। क्योंकि राज्य ने स्वयं को महामारी के कारण अनिश्चित वित्तीय स्थिति में पाया था। ऐसे में राज्य को ब्याज का भुगतान करने के दायित्व दे देना सही नहीं होगा। जस्टिस डी. वाए चंद्रचूड़ की पीठ ने फैसले में कहा कि वेतन और पेंशन के विलंबित भुगतान के लिए दिया गया निर्देश साफ नहीं है। राज्य में सेवा देने के कारण कर्मचारियों को वेतन प्राप्त होता है दूसरे शब्दों में कहें तो सरकारी कर्मचारी वेतन प्राप्त करना के हकदार है। और यह कानून के अनुसार देय भी है।
इसी तरह यह भी तय है की पेंशन का भुगतान कर्मचारियों द्वारा राज्य को प्रदान की गई पिछले कई वर्षों की सेवा के लिए होता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 6% प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज देने का आदेश दिया। इसलिए पेंशन प्राप्त करना राज्य सरकार के कर्मचारियों की सेवा के नियमों और विनमयो द्वारा कर्मचारी का हक का मामला है।
अपील का निस्तारण करते हुए पीठ ने आदेश दिया कि ब्याज का भुगतान सरकार को दंडित करने के लिहाज से नहीं होना चाहिए। यह सही है कि पेंशन भुगतान में सरकार ने देरी की है इसलिए उसे इसकाब्याज तो देना ही होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि 12% प्रतिवर्ष की ब्याज दर के बजाय आंध्र प्रदेश सरकार 30 दिनों की अवधि में वेतन और पेंशन का 6 फ़ीसदी प्रतिवर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करेगी।
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Frequently messages are being transmitted from u tube describing Epf 95 pension revised but when contacted concerned EPF office Kottayam they says no such increase in Pension increase taken place and no order received by them. Is it fraud messages?
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