सरकार ने 2.5 लाख रुपए से ऊपर प्रोविडेंट फंड (Provident Fund) कटवा रहे नौकरीपेशा को टैक्स के दायरे में लाने का प्रावधान 2021-22 के बजट (Budget 2021-22) में किया है। इसमें प्राइवेट नौकरी वालों के साथ सरकारी नौकरी वाले भी आएंगे। अब चर्चा है कि सरकार ज्यादा लोगों को PF कटौती के दायरे में लाने की योजना बना रही है। जिसकी घोषणा अगले महीने यानी मार्च में हो सकती है। रकार अनिवार्य पीएफ की सैलरी सीलिंग को बढ़ाने का प्लान कर रही है। मतलब की बेसिक सैलरी की सीलिंग बढ़ेगी।
नौकरीपेशा की सैलरी से कटने वाली रकम दो खातों में जाती है। पहला प्रोविडेंट फंड यानी EPF और दूसरा पेंशन फंड यानी EPS होता है. इसमें कुल रकम का 12 फीसदी ईपीएफ कर्मचारी की ओर में जमा हो जाता है। वहीं, कंपनी की ओर से 3.67 फीसदी EPF में जमा होता है। बाकी 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जमा हो जाता है. हालांकि, इसमें हर महीने 1,250 रुपये की अधिकतम सीमा है।
अगले महीने सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की एक बैठक श्रीनगर में होने जा रही है. जिसमें कुछ बड़े फैसले होने के आसार हैं. सूत्रों की माने तो नेगेटिव फीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन के लिए जो इस वक्त बेसिक सैलरी की सीलिंग है उसे बढ़ाया जा सकता है।
वर्तमान में बेसिक सैलरी की सीलिंग 15 हजार रुपये है उसे बढ़ाकर 25 हजार रुपये तक किया जा सकता है. इस प्रस्ताव पर चर्चा सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में हो सकती है. बता दें कि जो बेसिक सैलरी सीलिंग के ऊपर जिन लोगों की सैलरी है, उनके लिए पीएफ का कॉन्ट्रिब्यूशन वैकल्पिक होता है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के पूर्व असिस्टेंट कमिश्नर ए के शुक्ला के मुताबिक अगर ये फैसला होता है तो इसका फायदा 6 करोड़ लोगों को मिंलेगा। पहला तो उनका पहला कॉन्ट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा यानी ज्यादा पैसा जमा होगा तो उस पर रिटर्न भी ज्यादा मिलेगा।
दूसरा फायदा इसका ईपीएस में मिलेगा यानी कंपनी का शेयर भी बढ़ेगा. ऐसे में पेंशन फंड में ज्यादा पैसा पहुंचेगा।
सूत्रों की माने तो सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के सदस्य पीएफ की सैलरी सीलिंग को बढ़ाने के पक्ष में हैं. इसके पीछे दो तरह क दलील दी जा रही है।
पहला ये कि देश भर में जो यूनिवर्सल मिनिमम वेज का फॉर्मूला लागू किया जा रहा है, उसमें सैलरी 18 हजार रुपये के करीब निर्धारित की जा सकती है।
ऐस में जो मौजूदा सैलरी सीलींग है उसमें बढ़ोतरी करने की जरूरत है. इसके द्वारा अधिक-अधिक लोगों को EPFO में लाने में मदद मिलेगी।
दूसरा ये कि वित्त वर्ष 2021 में EPFO ने जो अलग-अलग सोर्स में निवेश किए हैं, उसपर कितना रिटर्न मिल रहा है और इसपर कोविड का कितना असर रहा है बैठक में इसकी समीक्षा होगी।
इसी आधार पर ये तय होगा कि चालू वित्त वर्ष के लिए पीएफ लेने वाले लोगों को कितना ब्याज दिया जाएगा. साथ ही EPFO के पास कितना सरप्लस अमाउंट है और उसपर किस तरह का असर हुआ है इसपर भी चर्चा की जाएगी।
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