EPS 95 पेंशनर्स की न्यूनतम पेंशन 1,000 से बढ़ाकर 7,500 करने का प्रस्ताव
हलाकि EPFO के अंतर्गत आने वाले ईपीएस 95 पेंशनर्स की न्यूनतम पेंशन 1,000 से बढ़ाकर 7,500 करने की मांग सालो से चली आ रही है अपनी पेंशन वृद्धि के लिए पेंशनर्स ने धरना , आंदोलन , ज्ञापन जैसे कई रास्ते अपनाये है और अब केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की अगली बैठक में पेंशनधारको की इस मांग को भी अजेंडा के रूप में रखने का प्रस्ताव दिया गया है।
केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) के सदस्यों के द्वारा ईपीएफओ खाताधारकों के लिए पीएफ कटौती की सिमा 15 हजार से बढाकर 25 हजार रुपए और ईपीएस 95 पेंशन धारको की न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये करने को लेकर श्रम मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है।
मिडिया की एक खबर के मुताबित केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) के सदस्य हरभजन सिंह ने बताया है की आने वाली केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की बैठक में ईपीएफओ खाताधारकों के लिए पीएफ कटौती की सिमा 25000 रुपए और ईपीएस 95 पेंशन धारको की न्यूनतम पेंशन 7,500 रुपये करने के प्रस्ताव को रखा जायेंगा। जिसे लेकर श्रम मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जा चूका है। साथ ही ईपीएफओ के अंतर्गत अनक्लाइमेड पीएफ की राशि जो वर्ष 2014 में 40 हजार करोड़ रुपये बताई गई थी। जिसे वर्ष 2019 में 27 हजार करोड़ रुपये बताया गया है इसके बारे में भी जानकारी ली जाएगी।
इसके आलावा PF में कटौती की सिमा 15000 से बढ़ाकर 25000 करने का प्रस्ताव
वर्तमान में कर्मचारी भविष्य निधि के अंतर्गत आने वाले पीएफ खाताधारकों की वेतन का 12% पीएफ में जमा करना होता है जिसमे यदि 15 हजार रुपये से ज्यादा किसी कर्मचारी की वेतन है तब भी उनका पीएफ में अंशदान 15 हजार रुपये की सीलिंग लिमिट पर ही होता है। जिसके हिसाब से कर्मचारी का अधिकतम 1,800 रुपये ही प्रति महीने पीएफ में जमा होते है। यदि इस प्रस्ताव को आने वाली केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की बैठक में मंजूरी मिलती है तो पीएफ खाताधारकों का पीएफ में अंशदान बढ़ जायेंगा जिससे की पीएफ की राशि भी ज्यादा मिलेंगी और रिटायरमेंट पर पेंशन में वृद्धि होंगी। लेकिन इन हेंड सैलरी में थोड़ी कमी आएँगी।
21000 रुपए तक वेतन वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा देने का प्रस्ताव तैयार
कर्मचारियों की समाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाने के मकसद से सरकार आने वाले दिनों में एक बड़ा फैसला लेने जा रही है। श्रम मंत्रालय ने आवश्यक कवरेज के तहत वेतन सीमा में 6 हजार की बढ़त का प्रस्ताव तैयार किया है। नए प्रस्ताव के तहत ईपीएफओ के तहत आवश्यक कवरेज के लिए वेतन की सीमा 15 हजार से बढ़कर 21 हजार कर दिया जाएगा।
ऐसा करने ईपीएफओ सदस्यों की संख्या भी बढ़ेगी, साथ ही सदस्यों की तरफ से आने वाला कंट्रीब्यूशन भी बढ़ेगा। सरकार का ये प्रस्ताव फिलहाल वित्त मंत्रालय के पास दोबारा भेजा गया है। पहले का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय ने कुछ संशोधनों के लिए श्रम मंत्रालय के पास भेज दिया था। अब श्रम मंत्रालय ने एक नया प्रस्ताव तैयार किया है और वित्त मंत्रालय को भेज दिया है। सरकार इस प्रस्ताव पर फिलहाल आगे नहीं बढ़ पा रही है, क्योंकि इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर से पहले सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की मंजूरी भी चाहिए होती है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में सरकारी सदस्यों की संख्या तो नियत रहती है और लेकिन गैर सरकारी सदस्यों का कार्यकाल 5 साल का ही होता है। पुराने बोर्ड का कार्यकाल इस साल मई में खत्म हो गया है। नए सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज यानि सीबीटी का गठन मई के बाद शुरू हो जाना था लेकिन अब तक केवल सरकार ने सभी संगठनों से इसके लिए नाम मांगे हैं। सूत्रों की माने तो इस पूरी प्रक्रिया में एक से दो महीने का वक्त और लग सकता है। इस बोर्ड के गठन के बाद ही कर्मचारियों से जुड़े प्रस्ताओं को अमलीजामा पहनाना शुरू किया जाएगा।
अभी क्या है प्रावधान
ईपीएफ एंड एमपी एक्ट में ये प्रावधान हैं कि कंपनी और कर्मचारी आमतौर पर मूल वेतन का 12 फीसदी एम्प्लॉयी प्रॉविडेंट फंड (ईपीएफ) एकाउंट में जमा करते हैं। कर्मचारी की तरफ से जमा कराया गया 12 प्रतिशत ईपीएफ के मद में ही जाता है। वहीं कंपनी की तरफ से जमा कराए गए 12 फीसदी में से 8.33% को ईपीएस या कहें पेंशन फंड में जमा किया जाता है जबकि बाकी बचे 3.67 फीसदी हिस्से को ईपीएफ में निवेश किया जाता है। इस प्रस्ताव के पास होने के बाद ईपीएफओ के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन की राशि में भी इजाफा संभव है क्योंकि वेतन सीमा बढ़ाए जाने के बाद एंप्लॉई पेंशन स्कीम के तहत सरकार का योगदान भी बढ़ जाएगा।
(नोट : यह जानकारी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से मिली जेकरि के आधार पर सांझा की गई है, अतः इसकी सत्यता आप आपके स्तर पर
जरूर जाँच ले। इसकी सत्यता की दावा नहीं करते)
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