ईपीएस यानी कर्मचारी पेंशन स्कीम के तहत निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन बढ़ाने का इस बार बजट में ऐलान संभव है। यूनियनों की लंबे अरसे से ये मांग रही है और माना जाता है कि इस बार वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपने बजट भाषण में इसका अवश्य जिक्र करेंगी।
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कुछ दिन पहले श्रम मंत्री संतोष गंगवार के साथ हुई बैठक में यूनियन्स, खासकर भारतीय मजदूर संघ ने EPS के मुद्दे का उठाया था और न्यूनतम पेंशन को 1000 रुपये से बढ़ाकर 6000 रुपए करने की मांग रखी थी। ईसी मांग को Budget 2020 पूर्व चर्चा में वित्त मंत्री के सामने भी रखी गई थी। यही मांग बजट पूर्व चर्चा में वित्तमंत्री के समक्ष भी रखी गई थी। यूनियनों का कहना है कि जब सरकार ने असंगठित कर्मचारियों तथा व्यापारियों तक के लिए अधिक पेंशन का प्रावधान कर दिया है तो संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को उससे कम पेंशन का कोई मतलब नहीं है।
Budget 2020 में EPS में पेंशन सीमा बढ़ाने के अलावा EPS के कम्यूटेशन अथवा अग्रिम आंशिक निकासी का पुराना प्रावधान भी बहाल किया जा सकता है। इसके तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के वक्त भविष्य निधि के साथ पेंशन की कुछ राशि एकमुश्त तौर पर लेने का अधिकार होता है। लेकिन इससे मासिक पेंशन में 15 वर्षों तक एक तिहाई की कमी हो जाती है।
2009 में इस व्यवस्था को बंद कर दिया गया था। पिछले दिनों ईपीएफओ ने इसे बहाल करने की सिफारिश सरकार से की है। इससे साढ़े छह लाख कर्मचारियों को फायदा मिलेगा।
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