सेवा में,
मा. श्री नरेन्द्र मोदी जी
प्रधानमंत्री (भारत सरकार)
नई दिल्ली
महोदय,
हमारी यह व्यथा/शिकायत सिर्फ आप और आपकी सरकार से है. हम शिकायत करें भी तो किससे करें? िडम्बना और दुर्भाग्यपूर्ण है कि किस आधार पर हम कर्मचारियों की पेंशन वर्ष 2004 से खत्म कर दी गई. सर्व विदित है कि देश में स्वतंत्रता उपरांत प्रारम्भिक दौर में सांसदों, विधायकों को केवल भत्ते ही प्रदत्त थे. किन्तु बाद में आप सभी राजनैतिक दलों के राजनेताओं ने अपने निहित स्वार्थ की पूर्ति हेतु परस्पर सांठगांठ कर कूट रचित कूट नीति से पब्लिक को गुमराह कर संविधान संशोधन द्वारा खुद की पेंशन भी लागू कर ली। आप जैसे स्वार्थी राजनेताओ ने समाजसेवा के नाम पर जन, समाज, क्षेत्र और देश का विकास के लिए राजनीति में प्रवेश किया और विधायक, सांसद चुने जाने पर खुद के लिए वेतन, भत्ते, पेंशन आदि सारी विलासितापूर्ण सुविधाएं जुटा ली. संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का ऐसा दुरुपयोग कोई आप जैसे राजनेताओं से से सीखे। महोदय क्या आप बता सकते हैं कि:-
1. आप राजनेताओं जैसे ही अन्य समाजसेवी ग्राम प्रधानों प्रधानों, बीडीसी मेम्बरों, जिला पंचायतों, व्लॉक प्रमुखों आदि को भी आपकी भांति सरकारी सुविधाए और पेंशन मिलती है.?
2. आप राजनेताओं जैसे अन्य समाजसेवियों को पेंशन और सरकारी सुविधाएं मिलती है ?
3. कर्माचारियों को दी जाने वाली पेंशन कर्मचारियों और सरकार के योगदान से बने फंड से दी जाती है। अर्थात जो हम देते हैं उसी में सरकार के योगदान को मिलाकर पाते हैं। जबकि सभी पूर्व और मौजूदा विधायकों और पूर्व सांसदों को उस संचित निधि से पेंशन दी जाती है जिसमें आप जैसे राजनेताओं का कोई भी योगदान नहीं होता हैं.
4. जग जाहिर है कि आप सब राजनेताओं को मिलने वाली पेंशन हम करदाताओं का पैसा है। हमारी समझ से आप जैसे समाजसेवियों के लिए पद साघ्य नहीं जनता की सेवा का साधन मात्र है।
5. विचारणीय है कि आप सभी राजनेताओं को प्रतिमाह लगभग 1 लाख 25 हज़ार रुपये वेतन के साथ ही मुफ़्त आवास, यात्रा, चिकित्सा, टेलीफ़ोन आदि अन्य बहुत सी सुविधाएँ मुहैया करायी जाती हैं। भत्ते के रूप में आपको निर्वाचन क्षेत्र, आकस्मिक ख़र्च, अन्य ख़र्चे एवं डी.ए. आदि दिया जाता है। ऐसे ही मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को भी मनमाने ढंग से बहुत सारी सुविधाएं दी गयी हैं।
6. आप राजनेताओं ने अपनी स्वेच्छाचारिता से एक दिन के लिए बने सांसदों व विधायकों को भी रू. 20000 लगभग प्रतिमाह पेंशन तय कर ली है। जबकि आपको पता है कि उन्हें किसी तरह की पेंसन की जरूरत नही होती। ऐसे सभी लोग अरबपति होते हैं जो सैकडों लोगों को नौकरी पर रख सकते हैं। जबकि कर्मचारियों की लंबी सेवा पूर्णता के बावजूद पेंशन समाप्त कर अंशदायी पेंशन की अनिवार्य व्यवस्था लागू कर दी गई है.
7. आप राजनेताओं की कर्मचरियों के प्रति दमनकारी नीति के परिणामस्वरूप पुराने सेवानिवृत कर्मचारी को रू. 900-1000 र और वर्तमान में सेवानिवृत कर्मचारी को रू. 2500-3000 मात्र परिवार चलाने के लिए नई पेंशन दी जा रही है.
8. सेवानिवृत कर्मचारियों की कटौतियाँ पता नही राजनेताओ को लाभान्वित करने वाली किन कम्पनियों को जा रहा है यह विदित नही है. इसमें भी कोई संदेह नही कि NPS भविष्य का सबसे बड़ी घोटाला सिद्ध होगा।
9. ऐसा क्यों है कि राजनेताओं की पेंशन संचित निधि से दी जाए और कर्मचारियों की पेंशन कम्पनी या बाजार तय करे ? क्या यह व्यवस्था भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 के विपरीत नही है ?
10. महोदय, आप, आपकी पार्टी और आपकी प्रचंड बहुमत की सरकार "एक देश-एक टैक्स" का ढिंढोरा पीटते नहीं थक रही है कि इस एक टैक्स से राष्ट्रवाद को बढावा मिलेगा । तो माननीय प्रधानमंत्री जी यदि "एक देश-एक टैक्स" से राष्ट्रवाद बढता है तो "एक देश-एक पेंशन" से क्या राष्ट्रवाद कम हो जाता है ?
11. महोदय, यदि देश के सेवारत/सेवानिवृत लाखों-लाखों कर्मचारियों को वेतन, पेंशन, भत्ता आदि देने से भारत सरकार की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है तो क्या तमाम वर्तमान व पूर्व सांसदों, विधायकों, मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों को वेतन, पेंशन, बंगला, गाडी, मुफ्त टेलीफोन, मुफ्त हवाई व रेल यात्रा, सस्ती कैण्टीन आदि में अरबों रुपये खर्च करने से भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है ?
12. भारत के लाखों सेवारत/सेवानिवृत कर्मचारी व पब्लिक इस विषय पर आपका विचार जानना चाहती है कि क्या केवल लाल ,नीली बत्ती हटा देने से सरकार के खर्चे में कटौती हो जायेगी ?
13. वर्तमान में जब सभी टेलीकाम कम्पनियां 349 रु. में एक महीने मुफ्त काल व नेट की सुविधा दे रहीं हैं तो भारत सरकार अपने सांसदो, विधायकों और मंत्रियों को रू. 15000/- टेलीफोन भत्ता किसलिए दे रही है ? क्या देश की जनता मूर्ख है ?
14. आप और आपकी सरकार सुनियोजित और प्रायोजित षड्यंत्र के तहत कर्मचारियों पर आरोप लगाते हैं कि वे कामचोर और भ्रष्ट है । इसलिए आपने पेंशन बंद कर दी, समुचित वेतन नही बढ़ाया, अब वेतन आयोग को बंद कर रहे, अपने पूँजीपति भाइयों को खुश करने के लिए संस्थाओं का निजीकरण करने का मुद्दा उठा रहे।
15. हो सकता है आपकी जुमलेबाजी और भाषण कला की पारंगतता के वशीभूत आम पब्लिक को आपकी कार्यशैली पसंद आ रही पर राष्ट्र भक्त पब्लिक को जब आपकी हकीकत पता चलेगी तब तक हाथ में कुछ भी नही रह जायेगा।
16. बुनियादी स्वास्थ्य के बिना मरीज अस्पतालों के बाहर मरे मिलेंगे और बुनियादी शिक्षा के बिना भारत जैसे देश के आधे नौनिहाल अशिक्षित रह जाएंगे। और तो और नुकसान की बात कर निजी कम्पनियां बीच मे स्कूल भी बंद कर देंगी अन्यथा खून चूसती रहेंगी।
17. सर्व विदित कि निजी संस्थानों का मूल उद्देश्य लाभार्जन होता है, वे उन्हीं उद्योगों को हाथ में लेते हैं, जहां लाभ अधिकतम और निश्चित हो । पब्लिक को समझना होगा नौकरियों को समाप्त किया जा रहा है. प्राथमिक तौर पर अचानक 98 हजार कर्मचारियों को तत्काल सरप्लस दिखा दिया गया।
18. आपकी सरकार का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र का आकार स्वतः भ्रष्टाचार में परिणत होता है। तो कैसे तमाम नॉर्डिक देशों में बड़े सार्वजनिक क्षेत्र हैं लेकिन वहां भ्रष्टाचार कम है। जैसी सरकार वैसा काम।
19. एक बात और आप केवल कर्मचारियों को ही क्यों अपने को क्यों नही देखते ? क्या कर्मचारी ही सबसे हम ज्यादे अकर्मण्य और भ्रष्टाचारी है? कर्मचारी के ऊपर कोई जाँच आती है तो उसका वेतन रोक कर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाती है जबकि भ्रष्ट नेता, विधायक, सांसद और मंत्री के ऊपर जाँच ही नही आती, आती भी है तो कोई आर्थिक क्षति नही मानी जाती है। मतलब राजनेताओ का अधिकार सुख इतना मादक होता है कि सत्ताधारियों को सामान्य ज्ञान की समझ भी नही रह जाती ?
20. यदि 50 वर्ष पार कर चुके कर्मचारी को स्क्रीनिंग करके नौकरी से हटाया जा सकता है तो 50 की उम्र पार कर चुके नेताओं की स्क्रीनिंग की व्यवस्था क्यों नहीं है? कर्मचारी तो केवल एक विभाग या कार्यालय चलाते हैं यदि उसके कार्यक्षमता से इतना प्रभाव प्रदर्शित होता है तो राजनेता तो देश के नेता तो पूरा देश चला रहे हैं क्या 50 की उम्र पार कर चुके नेताओं के कार्यक्षमता का प्रभाव देश पर नहीं पडता ?
महोदय, आप अपने 56 इंच का सीने से मन की बात करते हैं यदि वास्तव में ऐसा है तो कृपया हम प्रार्थी जनों के उपरोक्त प्रश्नों का उत्तर आप अगले मन की बात में देश की जनता को बताने की कृपा करेगें । हम प्रार्थी ज़न आपके मन की बात के कार्यक्रम का बेसब्री से इंतजार करेंगे.
सादर.
प्रार्थीज़न
समस्त कर्मचारीगण
(सेवानिवृत/सेवारत)
0 Comments