अगर आप नौकरीपेशा हैं तो आपके लिए यह काम की खबर है। दरअसल, नियोक्ता के हिस्से का एक भाग रिटायरमेंट फंड बॉडी ईपीएफओ (EPFO) के पेंशन स्कीम (EPF Pension Scheme) में जमा होता है। इसमें कर्मचारी की ओर से कोई कॉन्ट्रिब्यूशन नहीं होता है। रिटायरमेंट फंड बॉडी की ओर से पेश की जाने वाली पेंशन स्कीम के बारे में हम कुछ तथ्य बता रहे हैं, जिनके बारे में कम लोग ही जानते हैं।
1। कोई भी कर्मचारी ईपीएफ मेंबर बने बिना पेंशन स्कीम का फायदा नहीं ले सकता है। अगर किसी कर्मचारी का वेतन कम से कम 15,000 रुपये प्रति माह है तो वह पीएफ स्कीम के पैरा 26(6) के प्रावधानों के अनुसार ईपीएफ का मेंबर बन सकता है।
2। पेंशन फंड में नियोक्ता की ओर से योगदान दिया जाता है। ऐसे में कोई भी ईपीएफ मेंबर कर्मचारी पेंशन कंपोनेंट में कॉन्ट्रिब्यूट करने से इनकार नहीं कर सकता है।
3। कोई कर्मचारी अगर 58 साल की आयु में किसी संगठन में शामिल होता है तो वह पेंशन फंड का मेंबर बनने के लिए पात्र नहीं होगा।
4। इंडिविजुअल मेंबर पेंशन स्कीम से छूट नहीं ले सकते, लेकिन एक कंपनी छूट की मांग कर सकती है।
5। एक मेंबर 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति पर पेंशन के लिए पात्र है। अगर कर्मचारी 50 से 57 वर्ष के बीच नौकरी छोड़ देता है तो वह अर्ली (रिड्यूस्ड) पेंशन का लाभ उठा सकता है।
6। पेंशन राशि की गणना के लिए फॉर्मूला है –
पेंशन = (पेंशन योग्य वेतन) (पिछले 60 महीनों का औसत) X पेंशन योग्य सेवा / 70
7। मेंबर की मृत्यु होने पर 1 माह का कॉन्ट्रिब्यूशन भी जमा होने पर फैमली पेंशन और चिल्ड्रेन पेंशन देय है।
8। ईपीएफओ मेंबर की मृत्यु होने पर पेंशन उसकी पत्नी या पति को जाएगी।
9। बच्चे भी 25 वर्ष की आयु तक पेंशन प्राप्त करने के पात्र हैं।
10। पेंशनभोगी को देश में कहीं भी पेंशन मिल सकती है।
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