EPS 95 पेंशनरों का महा युद्ध
इधर सर्वोच्च न्यायालय में पेंशनरों ने पूरा दम लगा रखा है,10 अगस्त को शायद कार्यवाही का समापन हो जाय उधर दिल्ली में न्यूनतम 7500/- पेंशन के लिए भी जोरदार पूरी ताकत लगती दिख रही है...आमरण अनशन आरंभ हो चुका है,भारी तादाद में देश के कोने कोने से लोग एक जुट हो रहे हैं।8 अगस्त को "करो या मरो "वाला क्लाइमेक्स तय है ।देखने वाली बात तो यह होगी कि हायर पेंशन के नतीजे पहले आते हैं या न्युनतम पेंशन के नतीजे पहले आते हैं।नतीजे तो निश्चित ही पेंशनरों के हक में ही आने चाहिए वरना न्यायालय और सरकार दोनों से किसी पर भी विश्वास अब आगे किया जाना मुश्किल होगा। आखिर कब तब हम सभी आशाओं को बांध कर रख सकेंगे..इंतिहां हो चुकी है।ईश्वर की मर्जी और अपना भाग्य दोनों ही दांव पर लग चुके हैं।
कर्मचारी भविष्य निधि संघठन के अंतर्गत आने वाले 73 लाख ईपीएस 95 पेंशनर्स और 6.5 करोड़ से अधिक ईपीएफओ के अंशधारक आज सुप्रीम कोर्ट की ओर आशा भरी नजरो से देख रहे है। लम्बे अरसे के बाद, तीन जजों की पीठ के सामने चल रही, लगातार 4 दिनों की सुनवाई के बाद, Supreme Court ने ईपीएस 95 पेंशनर्स की हायर पर अंतिम फैसला सुरक्षित रख लिया है।
जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की 3 जजों की बेंच केरल, राजस्थान और दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 2014 की संशोधन योजना को रद्द कर दिया गया था। बेंच के समक्ष, मिल्मा (केरल मिल्क को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन) के कर्मचारियों के एक समूह की ओर से सीनियर एडवोकेट डॉ. कैलाश नाथ पिल्लई ने प्रस्तुत किया कि दोनों बीमांकिक रिपोर्ट भ्रामक हैं क्योंकि केवल पेंशन लाभ की देयता का अनुमान लगाया गया था। जैसे-जैसे सुनवाई आगे बढ़ी, पिल्लई ने ईपीएस योजना के प्रावधानों के माध्यम से अदालत का रुख किया।
25 फरवरी, 2021 को जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को लागू न करने पर केंद्र सरकार और ईपीएफओ के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने से केरल, दिल्ली और राजस्थान हाईकोर्ट को रोक दिया।
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