इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉक्टर योगेंद्र सिंह को याची योगेश तिवारी को पुरानी पेंशन का लाभ दिए जाने के मामले में दिए गए प्रत्यावेदन पर 6 सप्ताह में विचार कर निर्णय लेने का आदेश दिया है। योगेश तिवारी द्वारा दाखिल अवमानना याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पड़िया ने दिया। याची का कहना था कि उसने पुरानी पेंशन का लाभ देने को लेकर क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी के समक्ष प्रत्यावेदन दिया है।
जिस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा। इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। 13 अगस्त को 2021 को कोर्ट ने आदेश दिया कि याची के प्रत्यावेदन पर दो माह में निर्णय लिया जाए। इसके बावजूद अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया। इस पर कोर्ट ने क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी को आदेश के अनुपालन का एक और मौका देते हुए छह सप्ताह में याची के प्रत्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
लेखाधिकारी को अवमानना नोटिस जारी किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा आजमगढ़ सुनील कुमार भारत को अवमानना का नोटिस जारी किया है । उनको बीएसए आजमगढ़ के 9 सितंबर 21 के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि नोटिस सीजेएम आजमगढ़ के मार्फत तीन दिन में तामील किया जाए। कोर्ट ने कहा कि यदि विपक्षी आदेश का पालन नहीं करते तो अगली सुनवाई की तिथि 9 नवंबर को हाजिर हो। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने राम लगन यादव व आठ अन्य की अवमानना याचिका पर दिया है।
याची का कहना है कि शिक्षा सत्र में बदलाव के कारण जून से पुन: कार्यभार ग्रहण करने तक के बकाया वेतन भुगतान का कोर्ट ने आदेश दिया। जिसका अनुपालन करते हुए बीएसए ने लेखाधिकारी को भुगतान करने का निर्देश दिया और अनुपालन रिपोर्ट के साथ हलफनामा दाखिल किया। इसके बावजूद लेखाधिकारी आदेश की अवहेलना कर रहे हैं। भुगतान करने की जिम्मेदारी लेखाधिकारी की है। जिसपर कोर्ट ने लेखाधिकारी को नोटिस जारी कर आदेश का पालन करने या कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है।
काशी विद्यापीठ में पीएचडी दाखिले में धांधली पर जवाब तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी में पीएचडी कोर्स में प्रवेश में धांधली को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार व विपक्षियों से जवाब मांगा है। कोर्ट ने विपक्षी प्रोफेसर योगेन्द्र सिंह, प्रोफेसर राघवेन्द्र पांथरी, प्रोफेसर लक्ष्मी शंकर उपाध्याय, लिपिक मोतीलाल वर्मा, पूर्व लिपिक राजपति राम, लिपिक शशिकांत सिंह व लिपिक पुरूषोत्तम मिश्र को नोटिस जारी किया है।
इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग में दाखिल अर्जी को सीजेएम वाराणसी द्वारा निरस्त करने की वैधता को चुनौती दी गई है। सीजेएम ने यह कहते हुए अर्जी खारिज कर दी कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत राज्य सरकार से इसकी अनुमति नहीं ली गई है। इसलिए कोर्ट एफआईआर दर्ज करने का निर्देश जारी नहीं कर सकती। सीजेएम वाराणसी के आदेश के खिलाफ अर्दली बाजार के निवासी सुधांशु कुमार सिंह की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा ने दिया है। विपक्षियों पर पीएचडी कोर्स में प्रवेश में धांधली करने का आरोप है।
सरकारी जमीन पर अतिक्रमण मामले में एसडीओ व तहसीलदार से स्पष्टीकरण तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसडीओ व तहसीलदार मेजा प्रयागराज से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर स्पष्टीकरण पेश करने का निर्देश दिया है कि किस कानूनी उपबंध के तहत गांव सभा परानीपुर की सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने व चकरोड व पक्की नाली बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि राजस्व संहिता की धारा 26 में ऐसे लोगों पर कार्यवाही की प्रक्रिया दी गई है।
इस मामले में न तो अतिक्रमण करने वाले लोगों का नाम है और न ही किसी को नोटिस जारी किया गया है। नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध पारित आदेश का पालन कराने के लिए याचिका दायर की गई है। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 226 के अंतर्गत ऐसे आदेश के पालन करने का समादेश जारी नहीं किया जा सकता, जो कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बगैर जारी किया गया हो। यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने राजदेव मिश्र व अन्य की याचिका पर दिया है।
याची का कहना है कि याचीगण ने एसडीओ मेजा को प्लाट संख्या 116 से अवैध कब्जा हटा कर चकरोड व पक्की नाली का निर्माण कराने की मांग की। जिस पर एसडीओ ने राजस्व निरीक्षक को आदेश दिया कि अवैध कब्जा हटाकर चकरोड नाली का निर्माण कराया जाए और कहा जरूरत पड़े तो पुलिस बल की सहायता ली जाए। तहसीलदार ने भी ऐसा ही आदेश दिया है। जिसका पालन कराने की मांग में याचिका दाखिल की गई है। याचिका की सुनवाई 9 नवंबर को होगी।
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