फैमिली पेंशन को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। मामला एक महिला से जुड़ा है जिसके पति बहुत पहले उसे छोड़ गए। बाद में इस महिला के बेटे की एक सड़क हादसे में मौत हो गई। महिला ने मद्रास हाईकोर्ट से अपने पति की फैमिली पेंशन पाने के लिए गुहार लगाई थी। अदालत ने महिला की सभी परिस्थितियों को देखते हुए उसके पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने ईपीएफओ से कहा कि महिला के प्रति दयाभाव दिखाते हुए फैमिली पेंशन का लाभ दिया जाए।
मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एस वैद्यनाथन ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया और परित्यक्त महिला को बड़ी राहत दी। अपने फैसले में जस्टिस वैद्यनाथन ने ईपीएफ के रीजनल कमिश्नर को ईपीएफ पेंशन जारी करने का निर्देश दिया। महिला के पति 15 साल पहले उसे छोड़ गए थे। ईपीएफ स्कीम के तहत बेटा फैमिली पेंशन का हकदार था लेकिन उसकी भी मौत हो गई है। इस स्थिति में महिला ने कोर्ट से फैमिली पेंशन की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने फरवरी 2015 से फैमिली पेंशन देने का निर्देश दिया जिस तारीख को बेटे का निधन हुआ था। कोर्ट ने कहा कि महिला से उसके पति के बारे में ज्यादा जानकारी न मांगी जाए क्योंकि वे पहले ही परिवार छोड़ चुके हैं।
कोर्ट ने क्या कहा
अदालत ने महिला से पुलिस में दर्ज कंप्लेंट की कॉपी मांगी जिसमें यह दर्ज किया जाना था कि उसके पति बहुत पहले छोड़ चुके हैं। इस पर महिला के वकील ने अदालत से कहा कि पुलिस हो सकता है कि शिकायत न माने क्योंकि पति 15 साल पहले अपनी पत्नी को छोड़ चुके हैं। समय ज्यादा बीत गया है इसलिए पुलिस इसमें आनाकानी कर सकती है। याची की तरफ से वकील ने आग्रह किया कि शिकायत की कॉपी के बगैर ईपीएफ पेंशन जारी करने का आदेश दिया जाए तो बड़ी राहत होगी।
ये है मामला
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ईपीएफ एक्ट के सभी प्रावधानों पर गौर करने के बाद जज ने कहा कि इस खास परिस्थिति में मृतक बेटे के पिता ही फैमिली पेंशन के हकदार हैं और जब उनकी मृत्यु हो जाती है तो मां को पेंशन का लाभ मिल सकता है। यह पेंशन तब तक मिलेगी जब तक वह महिला जीवित रहती है। चूंकि मृतक बेटा अविवाहित था, इसलिए याची को पुलिस में एक कंप्लेंट दर्ज करानी होगी जिसमें उसे अपने गुमशुदा पति के बारे में सूचना देनी होगी। इस आधार पर पुलिस से एक सर्टिफिकेट लेना होगा। इसी सर्टिफिकेट के आधार पर पेंशन से जुड़े लाभ लिए जा सकते हैं, लेकिन महिला ने ऐसा नहीं किया।
इस आधार पर कोर्ट ने महिला से पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया और पुलिस को भी उसे मंजूर करने का आदेश दिया। यह काम एक महीने के अंदर किया जाए और पुलिस शिकायत स्वीकार करने के बाद याची महिला को एक कम्युनिटी सर्विस रजिस्टर नंबर जारी करे। पुलिस को आदेश दिया गया कि शिकायत के आधार पर महिला के पति का पता लगाया जाए और देखा जाए कि वह जीवित है या ट्रेस करने लायक नहीं है। इसी आधार पर पेंशन से जुड़े लाभ ईपीएफओ उस महिला को दे सकता है। महिला जब पुलिस से मिले सर्टिफिकेट जमा करा देती है तो उसके मृतक बेटे के सभी पेंशन लाभ उसे दिए जाएंगे।
कोर्ट ने आदेश दिया कि पुलिस से जब तक सर्टिफिकेट नहीं मिल जाता, तब तक महिला को पेंशन अमाउंट का 50 परसेंट हिस्सा दे दिया जाए। बाद में सर्टिफिकेट जमा कराने पर महिला को बाकी का 50 परसेंट पीएफ फंड जारी कर दिया जाएगा।
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