ईपीएफओ की कर्मचारी पेंशन स्कीम के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन पर सरकार 6 सितंबर को अपना रुख साफ कर सकती है। लंबे समय से मिनिमम पेंशन की राशि को 1000 रुपये से बढ़ाने की मांग चल रही है। ऐसे में सरकार 6 सितंबर को ईपीएफओ की होने वाली बोर्ड बैठक पर अपना फैसला सुना सकती है। इसके पहले मार्च में संसद की स्टैण्डिंग कमेटी ने मिनिमम पेंशन की राशि को 1000 रुपये से बढ़ाकर 3000 रुपये तक करने की सिफारिश की थी। जबकि पेंशनर की तरफ से मांग है कि यह पेंशन राशि बेहद कम हैं, ऐसे में इसे बढ़ाकर कम से कम 9000 रुपये करनी चाहिए तभी EPS 95 पेंशनधारक एक सम्मान पूर्ण जीवन जी सकते है।
EPFO बोर्ड के सदस्य ने बताया कि 5 राज्यों के हाई कोर्ट द्वारा पेंशन को मौलिक अधिकार माना है। साथ ही यह भी मांग की गई है कर्मचारी की रिटायरमेंट से पहले की आखिरी सैलरी के अनुसार पेंशन तय की जाएगी। हालांकि श्रम मंत्रालय ऐसा करने में अपनी असमर्थता जता चुका है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को होल्ड कर रखा है। ऐसे में देखना यह है कि 6 सितंबर की बैठक में सरकार का क्या रूख रहता है। उसके आधार पर ही कोई कदम बढ़ाया जा सकता है। सरकार को यह बात भी समझनी होगी कि 1000 रुपये की रकम बेहद कम है और ऐसी काम पेंशन में दो वृद्ध व्यक्तियोंका जीवन यापन कैसे होता होगा।
क्या है EPS 95 पेंशन स्कीम: ईपीएफओ द्ववारा कर्मचारी पेंशन स्कीम-1995 चलाई जा रही है। जिसमें संगठित क्षेत्र के तहत काम करने वाले लोगों को 58 साल की उम्र के बाद पेंशन मिलती है। इसके लिए कर्मचारी के लिए कम से कम 10 साल की नौकरी करना अनिवार्य है। स्कीम के तहत नियोक्ता ईपीएफ में 12 फीसदी राशि कर्मचारी के नाम पर जमा करते हैं। जिसमें 8.33 फीसदी रकम पेंशन के लिए दी जाती है। और रिटायरमेंट के बाद पेंशन फंड में अंशदान के आधार पर पेंशन की राशि तय की जाती है। इसके तहत मिनिमम 1000 रुपये की पेंशन दी जाती है। इसके अलावा स्कीम के तहत विधवा पेंशन, बच्चों की पेंशन की सुविधा मिलती है। यानी अगर कर्मचारी की नौकरी के दौरान 58 साल से पहले मौत हो जाती है, तो उसकी पत्नी और बच्चे पेंशन पाने के अधिकारी होते हैं।
फंड का आभाव: कोविड-19 महामारी के बाद जिस तरह से 2020-21 में जीडीपी में 7.3 फीसदी की गिरावट आई है। उसका सरकार की कमाई पर भी असर पड़ा है। इसे देखते हुए सरकार के लिए पेंशन की सीमा बढ़ाना आसान नहीं होगा। इसके पहले 22 मार्च 2021 को तत्तकालीन श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा था कि बिना अतिरिक्त बजटीय सहयोग के मिनिमम सीमा को बढ़ाना संभव नहीं होगा। इसी बात को हरभजन भी कहते हैं, उनके अनुसार जब तक अलग से पैसा नहीं दिया जाता है, सरकार के खजाने को देखते हुए ऐसा होना संभव नहीं दिखता है।
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