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EPFO Latest News: बुधवार 11 अगस्त EPS 95 उच्च पेंशन के मामलों की सुनवाई के पहले EPFO सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, EPFO ने एक नई याचिका दायर कर फिर से रोना शुरू किया

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर केरल हाईकोर्ट का पूर्ण पेंशन पर फैसला लागू होता है, तो कम वेतन पाने वाले लोगों की सामाजिक सुरक्षा प्रभावित होगी। EPFO ने अपनी याचिका में आगे अनुरोध किया कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर रोजाना सुनवाई की जाए। EPFO ने इन मामलो की सुनवाई के पहले शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया जो की बुधवार 11 अगस्त को सूचीबद्ध कीये गए है।


ईपीएफओ ने बताया कि उच्च न्यायालय का फैसला उन लोगों को देगा जिन्होंने वर्षों पहले ईपीएस को बंद कर दिया था और पूरी पेंशन का दावा कर सकते थे। अगर फैसला लागू होता है तो 15.28 लाख करोड़ रुपये की कमी होगी और इससे आम कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा प्रभावित होगी। केरल उच्च न्यायालय ने जो  फैसला 12 अक्टूबर, 2018 को सुनाया था ओ वेतन के अनुसार पेंशन सुनिश्चित करता है। 15,000 रुपये की वेतन सीमा जिसके आधार पर कर्मचारी की EPS 1995 (कर्मचारी पेंशन योजना 1995) में हिस्सेदारी की गणना की गई थी। इसके साथ ही कर्मचारियों के वेतन के अनुसार पेंशन की अनुमति दी गई थी।


EPFO का एक बार फिर अन्यायपूर्ण व्यवहार: EPFO ने स्पेशल लीव पिटीशन (सिविल) नंबर 2019 का 8658-8659 सुप्रीम कोर्ट में AI दायर किया है

सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल, 2019 को कर्मचारी पेंशन योजना से मासिक पेंशन पर केरल उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद, EPFO ने एक समीक्षा याचिका दायर की और श्रम मंत्रालय ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील दायर की।

केंद्र द्वारा दायर नई अपील में कहा गया है कि 15,000 रुपये की सीमा आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को लक्षित करके निर्धारित की गई थी। अगर सीमा रद्द करने वाले फैसले को लागू किया गया तो ईपीएस में 15,28,519.47 करोड़ रुपये की कमी हो जाएगी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद EPFO ​​को 839.76 करोड़ रुपये देने पड़े थे।


केंद्र ने कहा कि अगर शीर्ष अदालत ने श्रम मंत्रालय की अपील को बरकरार रखा तो बढ़ी हुई पेंशन की वसूली नहीं की जा सकती जो भुगतान के रम दे दी जा चुकी है। केरल उच्च न्यायलय के फैसले के बाद पेंशन 50 गुना तक बढ़ गई। साथ ही कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति अवधि के दौरान इतनी बड़ी राशि भी की वसूली नहीं की जा सकती है। इसलिए, फैसले पर तुरंत रोक लगा दी जानी चाहिए, श्रम मंत्रालय के अवर सचिव समीर कुमार दास ने सर्वोच्च न्यायलय से अनुरोध किया।


न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सोमवार को उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ श्रम मंत्रालय द्वारा दायर अपील और उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखने वाले सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ ईपीएफओ की समीक्षा याचिका पर विचार करेगी। ईपीएफ सदस्यों को वर्तमान में यह कहते हुए पूर्ण पेंशन से वंचित किया जाता है कि अपील और समीक्षा याचिका अदालत के विचाराधीन है।


 


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