पेंशन फंड रेगुलेटर PFRDA नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से जुड़े नियमों में बदलाव के लिए सरकार से बातचीत कर रहा है। ये बदलाव NPS को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए किए जा रहे हैं। इन बदलावों के तहत टैक्स में ज्यादा छूट, बीमा एजेंट्स की दिलचस्पी बढ़ाने और स्कीम को महंगाई से जोड़ने समेत कई बदलाव करने की तैयारी PFRDA कर रहस है।
पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) के चेयरमैन सुप्रतिम बंदोपाध्याय ने जानकारी दी है कि NPS में कई तरह के बदलाव करने के लिए सरकार से बातचीत की जा रही है। NPS को और बेहतर बनाने के लिए कुछ उपायों की शुरूआत भी हो चुकी है। जबकि कुछ पर सरकार से विचार जारी है।
NPS में बदलाव के तहत निवेशक अब अपने पूरे फंड को सिस्टमैटिक विड्रोल प्लान (SWP) में डाल सकेंगे जिससे उनका फायदा बढ़ सकेगा। अभी मौजूदा दौर में निवेशक अपने फंड का केवल 60% रिटायरमेंट के वक्त निकाल सकते हैं, जबकि बाकी बची हुई रकम से उन्हें एन्युटी खरीदनी होती है। जिसके बाद उन पैसों पर उन्हें जीवन भर एक आमदनी होती रहती है।
मान लिजिए आपके NPS में 5 लाख रुपए हैं तो अब नए बदलाव के तहत आप अपना पूरा पैसा एक साथ निकाल सकेंगे। सरकार इस तरह के बदलाव पर विचार कर रही है ताकि जरूरत पड़ने पर कोई भी निवेशक अपना पूरा पैसा एक बार में निकाल सके। अगले कुछ दिनों में इससे संबंधित नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। अभी इस सिस्टम के तहत निवेशकों को केवल 5% का रिटर्न मिलता है जिसकी वजह से निवेशक इसमें ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाते है।
बंदोपाध्याय के अनुसार गिरते ब्याज दरों के इस दौर में एन्युटी से निवेशकों को सालाना 5% का ही रिटर्न मिल रहा है। इस वजह से बहुत से निवेशक NPS में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। यही वजह है कि PFRDA अब एन्युटी से मिलने वाले रिटर्न को महंगाई से जोड़कर फिक्स करने की बात पर विचार कर रहा है। इसके लिए वह बीमा नियामक इरडा से बात करने जा रहा है। इस मामले पर इस समय एक समिति विचार कर रही है।
इसके अलावा PFRDA ने सरकार को सुझाव दिया है कि NPS में निवेश कर टैक्स बचत की जाने वाली रकम की सीमा को मौजूदा 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपए किया जाना चाहिए। अगर ये सीमा दोगुनी हो जाती है तो निवेशकों को टैक्स की बचत में भी काफी लाभ मिलेगा।
बंदोपाध्याय के अनुसार सरकार को यह सुझाव दिया जा रहा है कि NPS के तहत एन्युटी में निवेश की मदद से आने वाले पेंशन की रकम को एक निश्चित सीमा तक टैक्स फ्री कर दिया जाए। यह 10 लाख रुपए सालाना तक हो सकता है। इसे या तो टैक्स फ्री कर दिया इस पर मामूली टैक्स लगाया जाए।
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