संघर्ष समिति के अध्यक्ष मा. कमांडर अशोक राऊत एवं प्रदेशाध्यक्ष माननीय रणजीत सिंह दसुंदी एवं कोटा, चितौड़गढ़, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़ के संयुक्त अध्यक्ष नरेंद्र सिंह शक्तावत के नेतृत्व में चितौड़गढ़ शहर अध्यक्ष राजेन्द्र जैन, प्रतापगढ़ अध्यक्ष सुरेश पाटीदार द्वारा माननीय लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला जी को चार सुत्रीय मांगों का ज्ञापन दिया।
भारत के 67 लाख ईपीएस 95 पेंशनर्स जिन्होंने रू. 417/- रू. 541/- और रु. 1250/- प्रति माह 30 से 35 वर्ष के सेवाकाल में पेंशन फंड में जमा करवाए, जिसका आज का मूल्य रु. 15 से 20 लाख है, वह सामाजिक सुरक्षा के लिए केवल 500 से 3000 रुपये पेंशन प्राप्त कर रहे यह पेंशन हमारी जीवन रेखा हैं, दो वृद्ध लोगों के लिए इस राशि में सम्मानपूर्वक रहना बिल्कुल असंभव है। (जबकि लगभग 5.50 लाख करोड़ पेंशन फंड मे जमा) दिनांक 7.01.1996 को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने एक अधिकृत विज्ञापन प्रकाशित किया था जिसमें कहा गया था कि ईपीएस 95 पेंशन सरकारी पेंशन से 10 प्रतिशत या अधिक लाभदायक होगी। साथ ही कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने हर तीन साल या उससे पहले मूल्य सूचकांक के साथ पेंशन का मूल्यांकन करने का वादा किया था कि कर्मचारियों की पूंजी उनकी मृत्यु के बाद उनके नॉमिनी को वापस कर दी जाएगी। हालांकि, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा किसी भी वादे का पालन नहीं किया गया।
वर्ष 2008 में एकतरफा रूप से पूंजी पर प्रतिलाभ वापस ले लिया गया. 2014 में उन्होंने पेंशन की गणना के आधार 12 महिने औसत वेतन को 60 महीने के औसत वेतन में बदल दिया, जिससे पेंशन की राशि कम हो गई। वर्ष 2013 में भगतसिंह कोशियारी समिति की रिपोर्ट के अनुसार 3000 या उससे अधिक व उसे मंहगाई से जोड़ने की शिफारिस की कर्मचारी भविष्य निधि संगठन एवं श्रम मंत्रालय लगातार ईपीएस 95 पेंशनरों पर अन्याय कर रहा है।
दिनांक 4.10.2016 के निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने वास्तविक वेतन पर उच्च पेंशन देने का आदेश दिया. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने भी इस फैसले को स्वीकार कर लिया था और एक परिपत्र दिनांक 23.3.2017 को जारी किया लेकिन एक डब्ल्यू मोड़ लेते हुए उन्होंने दिनांक 31.5.2017 को एक अंतरिम एडवाइजरी जारी की, जिसमें पेंशन पाने वाले तथाकथित ऐकजमटेड संस्थानों के पेंशनभोगियों को अदालत में जाने के लिए मजबूर कर दिया। इस अन्याय से लड़ने के लिए 27 राज्यों में संगठन सक्रिय है।
माननीय श्रम मंत्री जी के आश्वासन के बाद व अपील पर सभी आंदोलन वापिस ले लिए गए है लेकिन एनएसी के मुख्यालय बुलढाणा (महाराष्ट्र) में जिलाधिकारी कार्यालय के सामने दिनांक 24.12.2018 से क्रमिक अनशन जारी है व आज इस अनशन आंदोलन का 915वाँ दिन है। एनएसी नेताओं ने 4 मार्च 2020 को माननीय प्रधानमंत्री से मुलाकात की। माननीय प्रधानमंत्री ने एनएसी नेताओं को युद्धस्तर पर इस मुद्दे को हल करने का आश्वासन दिया। तब से एक साल से अधिक समय बीत चुका है लेकिन कुछ नहीं हुआ. इसलिए वृद्ध पेंशनरों और उनके परिवार में जबरदस्त गुस्सा/नाराजगी देखी जा रही है।
ईपीएस 95 पेंशनर्स कि मांगें इस प्रकार हैं:
(1) न्यूनतम मासिक पेंशन रू. 7500/+DA
(2) कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की दिनांक 31 मई 2017 की अंतरिम एडवाइजरीको वापिस लिया जाए व ईपीएस 95 पेंशनरों को मा. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश व ईपीएफओ के परिपत्र दिनांक 23.03.2017 अनुसार उच्च पेंशन का विकल्प दिया जाए।
(3) सभी ईपीएस 95 पेंशनरों को चिकित्सा सुविधा।
(4) ईपीएस 95 सेवानिवृत्त कर्मचारी जो ईपीएस 95 योजना के सदस्य नहीं हैं, उन्हें ब्याज के साथ योगदान की वसूली करके और उन्हें उचित बकाया राशि की अनुमति देकर पूर्व पोस्ट सदस्यता की अनुमति दी जानी चाहिए अन्यथा उन्हें पेंशन के लिए रु. 5000/- प्रति माह निर्धारित किया जा सकता है। लोकसभा अध्यक्ष महोदय ने प्रकरण की गंभीरता एवं अपने क्षेत्र में निवासरत अति अल्प भोगी पेंशनरों की व्यथा को देखते हुए अविलंब समाधान करवाने का आश्वासन दिया।
1 Comments
Kush kabri only when my bank pass book gets filled up, otherwise it's like rubbing salt to the wounds on a 77+ years pensioner who is getting Rs 980/- per month after putting 28 years as an Engineer in a private shipping company in Goa.
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