EPS95/NAC/VVIP1606 दिनांक:16.06.2021
सेवा में,
माननीय/माननीया श्री / श्रीमती ........
संसद सदस्य, .....
विषय :- क्या गलती है हमारी? EPS 95 पेंशनर्स के साथ क्या यह छल नहीं तो क्या है? माननीय आपके क्षैत्र में निवासरत वृद्ध EPS95 पेंशनरों को उनका न्यायोचित हक दिलाने बाबत निवेदन।
माननीय महोदय/महोदया जी,
सविनय निवेदन है कि, देश के हम 67 लाख सरकारी/ अर्द्ध-सरकारी / केंद्र-राज्यों के अधिनस्थ संचालित सार्वजनिक / लिमिटेड /अन-लिमिटेड कंपनीयों / उद्योगों खदानों/ मिलों/ विभागों/ निगमों/सहकारी-अर्ध सहकारी/ डेयरियों/ निजी क्षेत्रों आदि आदि में कार्यरत एवं रिटायर्ड कर्मचारी जो वृद्धावस्था में अपनी जीवन की सामाजिक सुरक्षा एवं संरक्षा हेतु ईपीएस-95 नामक पेंशन योजना में आते हैं, जिसमें आगे लिखे अनुसार सुखमय बुढ़ापे हेतु आजीवन इस योजना में हर महीने अंशदान भी जमा कराया है।
इन्होने अपने सेवा काल में देश के नव निर्माण में अपना खून पसीना बहा कर देश को समृद्ध बनाया परंतु आज बहुत कम या यूं कहिए न के बराबर पेंशन मिलने के कारण ये अत्यंत दयनीय व मरणासन्न अवस्था में जीवन जी रहे हैं। साथ ही परिवार व समाज में अधिकांश तो अपना सम्मान खो चुके बचे-खुचे भी खोते जा रहे हैं।
मान्यवर आपके अपने लोकसभा संसदीय क्षेत्र में हमारे ईपीएस-95 पेंशनरों के काफी परिवार है।
आपकी जानकारी हेतु योजना का आदर सहित संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:-
कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (ईपीएस-95) 16 नवंबर 1995 से लागू की गई।इससे पूर्व की जारी फैमिली पेंशन स्कीम 1971, बंद करके उस स्कीम में जमा सारी राशि (कार्पस मनी) ईपीएस-95 योजना के खाते में स्थानांतरित कर दी गई।
किसी भी प्रकार की अन्य सामाजिक/आर्थिक सुरक्षा योजना या पेंशन योजना का पर्याय न देते हुए सभी सदस्यों को इस नयी योजना EPS 1995 योजना मे सम्मिलित होने के लिए मजबूर किया गया। जबकि 1971 के पूर्व से सेवारत कर्मचारियों को इसमें शामिल नहीं किया।
यहां महत्वपूर्ण तथ्य यह है की इस पुरानी फैमिली पेंशन स्कीम योजना में कर्मचारियों का जमा पैसा, जिसका मुल्य आज लाखों रुपयों में है को ईपीएस-95 योजना के खाते में जमा कर दिया गया।
इसके बाद कर्मचारियों ने उनकी पूरी सेवा के दौरान सरकारी नियमानुसार रु.417/-, रु.541/- , रु.1250/- प्रति माह इस पेंशन फंड में जमा करवाए, जिसका प्रति पेंशनर आज का मूल्य लगभग 15 लाख रुपये बनता है, जबकि हम वृद्ध पेंशनरों को मात्र ₹200/- से ₹3000/- पेंशन दी जा रही है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा की मात्र इस पेंशन के.... हमें मुफ्त चिकित्सा अथवा केंद्र या राज्य सरकार की किसी भी अनुदानित/मुफ्त सामाजिक सुरक्षा या खाद्यान्नादि भरण-पोषण सुविधा आदि भी जन कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं मिलता है।
बावजूद अंशदान हमारी पेंशन इतनी कम है कि इससे पति - पत्नी दो जनों का जीवन-यापन और औषधि उपचार/ क्लिनिकल जांच का खर्च तो दूर हमारे पास डाक्टर को देने की फीस का पैसा भी नहीं है।
इस ईपीएस 95 योजना अंतर्गत जो यह अल्प पेन्शन राशि तय की जाती है वही पेंशन आजीवन कायम रहती हैं।
पूंजी की वापसी जो इस स्कीम की आत्मा थी का प्रावधान भी हठ धर्मितापूर्वक सन 2008 से एक तरफा ही समाप्त कर दिया गया हैं। जिसपर आप गौर करें तो यह विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक धोखे (चिटिंग) की श्रेणी में आता है।
क्योंकि:-
दिनांक:- 07.01.1996 को देश के लगभग सभी समाचार पत्रों में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कर्मचारियों को भ्रमित करने के लिए आधिकारिक तौर पर विज्ञापन देकर प्रचारित व प्रसारित किया कि यह ईपीएस 95 योजना तत्कालीन सरकारी पेंशन योजना से 10% से भी अधिक लाभदायक रहेगी। नई पेंशन योजना के अंतर्गत सेवा निवृत्ति पर पेंशन संबंधी लाभ सरकारी कर्मचारियों को प्राप्त होने वाले तत्कालीन लाभों से भी अधिक है! सरकारी कर्मचारी अपनी पेंशन पर महंगाई भत्ता वृद्धि प्राप्त करते हैं , इस नई पेंशन योजना के अंतर्गत इसका मूल्यांकन तीन वर्ष अथवा इससे पूर्व किये जानें का प्रावधान है। सरकार इस मूल्यांकन को वार्षिक रुप से किए जाने पर सहमत हो गई है।
सबसे आकर्षक की इस योजना में पूंजी की वापसी का भी प्रावधान हैं इत्यादि!!!!
इन्हीं सब विज्ञापनों से प्रभावित होकर उस समय भ्रमित कर्मचारियों का इस योजना की सदस्यता जबरदस्ती लागू करने का विरोध कम होता गया. क्योकि वृद्धा अवस्था में निर्वाह करने हेतु सिर्फ भविष्य निधि जमा करने वालों के लिये बहुत ही लुभावने तरीके से प्रचारित प्रसारित कर यह प्रस्ताव दिया गया था।
लेकिन इसके बाद सन 2008 में पूंजी की वापसी (ROC) व Commutation और सन 2014 में वास्तविक वेतन पर उच्च पेंशन का प्रावधान भी एकतरफा समाप्त कर ईपीएफओ ने आज तक की सबसे बड़ी आर्थिक पुनर्भरण वचनबद्धता भंग की जिसके खिलाफ हर उच्च न्यायालय ने पेंशनरों के पक्ष में निर्णय दिया है।
सन 2014 में मा. प्रधानमंत्री महोदय ने पेंशन की राशि कम से कम ₹1000/- करने की घोषणा तो की लेकिन इसके साथ ही सन 2014 में ही योजना के नियमों में बदलाव कर पेंशन राशि की गणना जो पिछले 12 महिने के औसत वेतन पर निर्धारित की जाती थी उसे 60 महिने कर दिया गया जिससे पेंशन की राशि ओर भी कम हो गई.
हमारे संगठन NAC ने पीड़ित ईपीएस-95 पेंशनरों की आवाज को सरकार तक पहुंचाकर हम पेंशनरों की उचित मांगों को मंजूर करवाने हेतु देश भर में पिछले पांच वर्षों से तहसील स्तर से लेकर जंतर मंतर रामलीला मैदान नई दिल्ली स्थित ईपीएफओ मुख्यालय के सामने राष्ट्रीय स्तर, दिल्ली तक विविध प्रकार के कई आंदोलन किए।
मा. श्रममंत्री जी के साथ NAC के प्रतिनिधियों की कई बैठकें सम्पन्न हुई व मा. श्रममंत्री महोदय ने हमारी बातें ध्यान से सुनी भी, उनके अधीनस्थ श्रम मंत्रालय के मुख्य सचिव से लेकर के अन्य अनेकों अनेक अधिकारियों के साथ कई बैठके भी करवाई, आश्वासन भी दिए लेकिन मुख्य मांगों के संदर्भ में ठोस निर्णय नहीं लिए गए।
मा. श्रममंत्री जी के बारंबार आश्वासन एवं सला पर विश्वास कर हमारे संगठन राष्ट्रीय संघर्ष समिति ने देशभर में प्रस्तावित सभी आंदोलन वापस ले लिए। सिर्फ NAC के मुख्यालय बुलढाणा महाराष्ट्र में हमारे संगठन की जीवंतता हेतु जिला कलेक्ट्रेट बुलढाणा के सामने दिनांक 24.12.2018 से क्रमिक अनशन अखंडित रुप से जारी है जिसका दिनांक16 जून 2021 को 906 वां दिन है।
सौभाग्य से दिनांक 04.03.2020 को मा. श्रीमती हेमा मालिनी जी की अगुवाई में देश के मा. प्रधानमंत्री श्री मान नरेन्द्र मोदीजी के साथ राष्ट्रीय संघर्ष समिति के के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राऊत व NAC प्रतिनिधि मंडल की बैठक सम्पन्न हुई. मा. प्रधानमंत्री जी ने संगठन के प्रतिनिधियों की समस्याएं बड़ी ध्यान से सुनने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय में संबंधित मंत्री महोदय को पेंशनरों की समस्याओं का शीघ्र समाधान करने हेतु आदेश भी दिए परंतु अभी तक न्याय नहीं मिला है।
मा. प्रधानमंत्री जी के ध्यानाकर्षण के लिए व ईपीएफओ के अनुचित व्यवहार व बर्ताव के विरोध में दिनांक 06.04.2021 से 15.04.2021 तक देश सभी EPS 95 पेंशनर्स द्वारा
12 दिवसीय विरोध काल
आयोजित किया गया, जिसके अंतर्गत देश के सभी EPFO कार्यालयों में मा. प्रधानमंत्री जी / मा. अध्यक्ष CBT के नाम से ज्ञापन भी दिए गए.
मा. प्रधानमंत्री जी को उनके द्वारा दिए हुए वचन पूर्ति के स्मरण हेतु, 1 जून 2021 को देश भर के पेंशनर पति-पत्नी एवं "कईएक परिजनों" ने भी एक दिन का उपवास रख माननीय को वायदा स्मरण कराने की गांधीवादी कोशिश की।
अब पेंशनरों की मांगों को शीघ्र मंजूर करवाने हेतु ईपीएस95 पेंशनरों के भरण-पोषण की गंभीर समस्याओं से छुटकारा पाने हेतु, इलाज के अभाव में पेंशनरों में बढ़ती हुई मृत्यु दर से पेंशनरों में व्याप्त असंतोष एवं इनकी पीड़ा देखते हुए मा. प्रधानमंत्री जी / सरकार तक पेंशन धारकों की करूणा भरी पुकार को पहुंचाकर मांगों को मंजूर करवाने हेतु
"ईपीएस-95 पेंशनर्स बचाओ"
राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया गया है।
मा. महोदय, सम्मानजनक पेंशन हेतु पहले 2008 -2009 में एक्सपर्ट कमेटी,2013 में भारतीय जनता पार्टी के वयोवृद्ध विद्वान नेता मा. श्रीमान भगत सिंह जी कोश्यारी साहब की अध्यक्षता में कोश्यारी कमेटी, फिर 2018 में हाई पावर माॅनीटरिंग कमिटी, और फिर लेबर पर संसदीय समिति आदि समितियां बैठाई गई।
न्युनतम पेंशन मुद्धे पर कहा जाता है कि यह स्व: पोषित योजना (Self Funded Scheme) है लेकिन सत्य यह है कि सरकार का अंशदान 1971 की फैमिली पेंशन स्कीम में 1971 में भी 1.16% था और आज भी 1.16% ही है ऐसा क्यों?
इसीलिए कोश्यारी समिति ने इसे बढ़ाकर 8.33% की सिफारिश की थी। EPFO की ओर से भी कहा जाता रहा है कि पेंशन वृद्धि बिना "Budgetary Support" के संभव नहीं।
वास्तविक वेतन पर उच्च पेंशन के संबंध में स्पष्ट है कि ईपीएस-95 स्कीम में प्रावधान होने के बावजूद भी उच्च पेंशन नहीं दी जाती थी। मजबूरी में पेंशनर न्याय पाने हेतु न्यायालयों में जाते रहे, केस जीतते रहे इधर EPFO की ओर से पेंशनरों की जमा राशि से ही न्यायालय में पेंशनरों के खिलाफ रिट पिटिशन पर रिपीटेशन के जरिए विरोध श्रृंखला जारी रख करोड़ों रुपए पेंशनरों के बर्बाद कर दिए और अभी भी किए जा रहे हैं।
अंत में दिनांक 4.10.2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने EPS 95पेंशनरों के पक्ष में आदेश दिया।* इसी आदेश के अनुसार सभी शासकीय औपचारिकताओं की पूर्ति के बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने दिनांक* 23.03.2017 को सभी इच्छुक पेंशनरों को बढ़ी हुई दर से पेंशन देने का परिपत्र भी जारी किया गया। जिसकी घोषणा मा. श्रम मंत्री जी के द्वारा लोक तंत्र के सबसे बडे न्यायालय यानी संसद मे की।
लेकिन बाद में EPFO ने दिनांक 31.05.2017 को एक Interim Advisory जारी कर उच्च दर से पेंशन देने पर रोक लगा दी व अब तो EPFO ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुपालनार्थ जारी स्वयं के आदेश दिनांक 23.03.2017 के परिपत्र को ही एबियेन्स में रख दिया है।
मेडिकल सुविधा हेतु एक तरफ सन् 2017 से मा. श्रम मंत्रीजी ने संसद में व समय समय पर संसद सदस्यों को पत्र लिखकर भी अवगत कराया की योजना विचाराधीन है/कार्य चल रहा है राष्ट्रीय संघर्ष समिति के पदाधिकारियों को भी विश्वास दिलाया की शीघ्र ही लागू हो जाएगी।
लेकिन दूसरी तरफ EPFO दलील दे कर नकारता है की स्कीम में इसका प्रावधान नहीं है।
यहां ईपीएफओ की हठधर्मिता तो देखिए मूल स्कीम में जो सुविधाएं/ प्रावधान है वह भी नहीं देता है और मेडिकल जैसी सुविधा के लिए बड़ी आसानी से बोल देना कि यह स्कीम में प्रावधान नहीं है हमारे साथ यह कैसी विडंबना है?
इन सब तथ्यों से लगता है कि कहीं यह ईपीएस 95 पेंशनरों के प्रति EPFO का छल तो नहीं है?
क्योंकि EPFO के पास साढ़े पांच लाख करोड़ रुपयों से अधिक का हमारा पेंशन फंड
होने के बावजूद भी यह कहना कि पेंशनरों को देने के लिए हमारे पास कुछ नहीं हैं। मूल मुद्धे से ध्यान भटकाने के लिए अब तो यहां तक कहा जा रहा है कि ईपीएस 95 स्कीम का रिफॉर्म किया जाएगा।
इस तथाकथित Reform में फिर से समय लगेगा और इसी समय में पता नहीं कितने हमारे सदस्य करुण दारुण दुख भोगते हुए स्वर्ग सिधार जाएंगे?
बुढ़ापा अच्छा गुजरे इस आशा में हम सभी पेंशनर तो पहले ही सरकार के निर्देशानुसार अंशदान कर चुके पर मिला कुछ नहीं हैं।
अत: आपके संसदीय कार्य क्षेत्र में निवासरत पीड़ित, वंचित और ईपीएफओ द्वारा प्रताड़ित ईपीएस-95 पेंशनर, सरकार में हमारे राजनैतिक अगुआ होने के रिश्ते के आधार पर आपसे प्रार्थना करते है कि,
संसद के इसी आगामी मानसून सत्र में कृपया :-
1. मिनिमम पेंशन रु.7500/- + महगाई भत्ता मंजूर करवाये।
यदि आवश्यक हो तो बजट में प्रावधान किया जाए या इसके लिए कानून पास किया जाए। (महंगाई सूचकांक गणना पर आधारित यह उचित मांग कोश्यारी समिति (राज्यसभा पिटीशन 147) की सिफरिश के अनुसार (न्यूनतम पेंशन ₹3000 या अधिक तथा उस पर महगांई भत्ता) 7-8वर्षों में बढ़ी हुई महगांई के आधार पर की गई हैं।
2. EPFO द्वारा जारी अंतरिम ऐडवाइजरी दिनांक 31.05.2017 का पत्र वापिस लेकर EPFO के परिपत्र दिनांक 23.03.2017 के अनुसार उच्च पेंशन प्रदान की जाए।
सविनय श्रीमान की जानकारी हेतु लेख है कि यदि न्यूनतम पेंशन ₹7500+DA और वास्तविक वेतन पर उच्च दर से पेन्शन का विकल्प, ये दोनों मागें यदि साथ साथ मंजूर की जाती हैं तो उच्च पेन्शन का विकल्प चुनने वाले पेंशनरों की संख्या, बढ़ी हुई उम्र, वर्षों पूर्व ले चुके पीएफ राशि को उसपर भारी भरकम ब्याज सहित वापस एकमुश्त जमा कराने हेतु वृद्ध पेंशनरों, जिनके खाने-पीने के लाले पड़े हुए हैं के पास इतनी धन की उपलब्धता संभव ही नहीं आदि कारणों से नगण्य ही रहेगी।
इस उच्च पेन्शन के विषय को EPFO के कुछ अधिकारियों द्वारा बाल की खाल निकालने जैसा प्रयत्न किया गया है व विभिन्न स्तर पर विभिन्न सक्षम संस्थाओं के समक्ष गलत आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण करके वरिष्ठों को भी वास्तविकता से परे अंधेरे में रख कर पेंशनरों को इस कुचक्र में फंसाया गया है।
3. सभी ईपीएस-95 पेंशनरों व उनके आश्रित (पत्नी या पति) को मुफ्त मेडिकल सुविधा प्रदान की जाए।
यदि स्कीम में प्रावधान नहीं है तो बतौर हमारे अगुआ और नुमाइंदे होने के नाते कृपया अब करवाइए, नियम/कानून सभी लोक कल्याण के लिए ही तो होते हैं।
4. जिन सेवा निवृत्त कर्मचारियों को नियोक्ताओं ने ईपीएस-95 या अन्य किसी पेंशन योजना में शामिल नहीं किया है उन्हें पेंशन योजना का सदस्य बनाकर योजना में लाया जाए अथवा 5000/- रू. की राशि पेंशन के तौर पर प्रदान की जाए।
वैसे देश में ऐसे निवृत्त कर्मचारियों की संख्या बहुत ही कम है पर है तो भी वे हैं तो इसी देश के कर्मचारी नागरिक।
मान्यवर, आप हमारे आदरणीय संवेदनशील राजनैतिक प्रतिनिधि ही नहीं हमारे लिए तो आप ही सरकार है।
अब यह आपके हाथ में है कि:- क्या आपके अपने ये हजारों वृद्ध पेंशनर ऐसे ही तड़प तड़प कर मरेंगे, या इनको न्याय मिलेगा और जीवन के उत्तरार्ध में इन्है सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर मिलेगा।
द्रवित हृदय से लिखना पड़ रहा है कि देश में कुपोषण एवं वृद्धावस्था जनित बीमारियों के इलाज के अभाव में प्रति माह लगभग पांच हजार से भी ज्यादा पेंशनर संसार से विदा हो रहें थे, और अब तो कोरोना महामारी के चलते ये दर और भी बढ़ गई है।
कृपया अब और अधिक प्रतीक्षा न करवाएं क्यों कि हम सभी पेंशनर्स हमारे संगठन NAC के माध्यम से पिछले कई वर्षों से तो संघर्ष ही कर रहे हैं।
अब अधिकांश पेंशनर्स जीवन के अंतिम पड़ाव पर है व उम्र 65 वर्ष या उससे ज्यादा ही है। इस हिसाब से कम से कम बचे-खुचे अन्तिम समय में तो हमें सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर प्रदान करिये ताकि हम चैन से मर सकें।
हमारे अपने क्षेत्र के पेंशनरों का मानना है कि, यदि हमारी उपरोक्त मांगे आगामी संसद सत्र में पूरी नहीं होती है तो, हमारे सदस्यों की प्रति दिन दारुण मौतें देखना और तड़प तड़प कर मरने से तो अच्छा है कि सभी पेंशनर आमरण अनशन कर सामुहिक बलिदान कर दें।
शीघ्र न्याय की प्रतिक्षा में, जिले/जिलों/संभाग के सभी पेंशनरों की ओर से,
____
जिला/संभागीय अध्यक्ष,
प्रतिलिपि: सविनय सादर:-
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