वित्त मंत्री निर्माला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि केंद्र सरकार एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड (EPF) में निवेश करने पर टैक्स लिमिट के नियमों की समीक्षा करने को तैयार है। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार EPF में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाने के नियम को वापस ले सकती है। निर्मला सीतारमण ने इस साल आम बजट पेश करते हुए यह घोषणा की थी कि जो कर्मचारी EPF में सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा कंट्रीब्यूट करेंगे, उन्हें मिलने वाले ब्याज पर टैक्स देना होगा।
टैक्स एक्सपर्ट्स ने वित्त मंत्री के इस कदम को अधिक सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के EPS में निवेश करने से हतोत्साहित करने वाला कदम करार दिया था। इसके बाद निर्माला सीतारमण ने कहा कि वे इस नियम की समीक्षा करने को तैयार हैं। अंग्रेजी अखबार द हिंदू बिजनेसलाइन को दिए एक इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार इस नियम की समीक्षा के लिए तैयार है। आपको बता दें कि EPF में कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स नहीं लगता है। लेकिन सरकार ने आम बजट में 2.5 लाख रुपये से अधिक के कंट्रीब्यूशन पर होने वाली आय पर टैक्स लगाने का ऐलान किया था।
वित्त मंत्री ने कहा, यह समझना होगा कि हम इस नियम के तहत ऐसे लोगों को टैक्स दायरे में लाना चाहते थे जो औसत भारतीयों से ज्यादा पैसा EPF में जमा कर टैक्स छूट का लाभ लेते हैं। सरकार की मंसा EPF में पैसा जमा करने वाले लोगों को हतोत्साहित करना नहीं है, इसलिए हम इस नियम को रिव्यू कर सकते हैं। दरअसल, सरकार ने वर्ष 2016 के बजट में भी ऐसा ही एक प्रस्ताव रखा था। उस प्रस्ताव के मुताबिक, EPF के 60 फीसदी पर हासिल ब्याज को टैक्स के दायरे में लाया गया था। हालांकि, विरोध के बाद सरकार ने अपने कदम वापस खींच लिए थे।
कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि सरकार EPF को नेंशनल पेंशन स्कीम (NPS) के साथ मर्ज करने की योजना बना रही है। लेकिन वित्त मंत्री ने इस मामले में स्पष्ट कर दिया है कि सरकार का इरादा EPF को NPS में मर्ज करने नहीं है। निर्माला सीतारमण ने कहा कि EPF अपने मौजूदा स्वरूप में ही जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि मध्यम आय वाल लोगों के लिए EPF में कंट्रीब्यूशन करना आसान है।
पिछले कुछ दिनों से चर्चा थी कि केंद्र सरकार बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को प्राइवेटाइज करेगी। लेकिन वित्त मंत्री ने कहा कि किन बैंकों को प्राइवेटाइज किया जाएगा, इसका फैसला अभी नहीं हुआ है। वित्त मंत्री ने कहा कि सराकर विनिवेश के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकती है। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों पर उन्होंने कहा कि इसे कम करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर है। केंद्र और राज्य बैठकर इस मुद्दे को सुलझा सकते हैं।
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