EPS 95 HIGHER PENSION CASES NEXT HEARING DATE
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के हक़ में एक बड़ा फैसला पेंशन और परीलाभ पर दिया गया है। तो आज के इस अपडेट में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के हक में पेंशन और परीलाभ को लेकर यह जो बड़ा फैसला दिया गया है तो उसके बारे में हम पूरी जानकारी लेने वाले हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने हाल ही में एक आदेश में एक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि पेंशन निर्धारण के लिए वरिष्ठता और पूरी सेवा अवधि जोड़ी जाएगी लेकिन नियमित होने के बाद से उसे दैनिक सेवा अवधि का नियमित वेतनमान पाने का हक नहीं है। तो यह जो याचिका है तो दैनिक वेतन भोगी द्वारा पेंशन और परीलाभ मिलने के लिए याचिका दाखिल की थी।
दैनिक वेतनभोगी है तो उनके द्वारा याचिका किस वजह से दाखिल की गई उसके बाद यह जो याचिका है तो इस याचिका के पर हाई कोर्ट द्वारा जो बड़ा दिया गया हैं तो वह क्या हैं? इलाहाबाद हाईकोर्ट में ये जो याचिका दाखिल की गई थी तो याची क्रमशः 1989 और 1990 में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में काम करता था। 1995 में उन्हें बर्खास्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने बर्खास्तगई रद्द कर नियमित करने का आदेश प्रशासन को जारी किया था। जिस पर 2 सितंबर 2003 को उनकी सेवा को नियमित कर दिया गया। याचिकाकर्ता अपनी सेवा को पूरा करके 30 सितंबर 2017 को सेवानिवृत्त हो गया।
याचिकाकर्ता द्वारा जो याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल की गई थी जिसमें वेतनमान और बकाया वेतन की मांग की गई थी। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि दैनिक वेतनभोगी कर्मी के नियमित होने के बाद पेंशन निर्धारण के लिए वरिष्ठता और पूरी सेवा अवधि जोड़ी जाएगी, लेकिन नियमित होने के बाद उसे दैनिक सेवा अधिकार नियमित वेतनमान पाने का अधिकार नहीं है।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दैनिक कर्मचारी दैनिक सेवा अवधि का वेतन ले चुका है। जब से नियमित किया गया है तभी से नियमित वेतन और अन्य पर अलाव का भुगतान पाने का हकदार है। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने बस्ती जिले में चौकीदार राम भहोरे और एक अन्य याचिकाकर्ता की याचिका के पर दिया है। दूसरे याचिकाकर्ता की इस दौरान मृत्यु हो गई है।
याचिका कर्ताओने पुनरीक्षित वेतनमान और बकाया वेतन की मांग उठाई थी। जिसका सीडीओ ने भुगतान कर दिया था। इसके बाद याची याचिका कर्ताओ नियुक्ति तिथि 1980 से नियमित वेतनमान की मांग की थी जिसे कोर्ट ने नहीं माना है और पेंशन निर्धारण करते हुए पूरे सेवा अवधि जोड़े का निर्देश पर इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिया गया है।
दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा यह जो बड़ा फैसला सुनाया गया जिसमें कहा गया है कि पेंशन के लिए पूरी सेवा की अवधि जोड़ी जाएगी पर जब कर्मचारी दैनिक वेतन भोगी था तब उसको जो मिलने वाला वेतनमान है तो वह ले चुका है और जब से वह नियमित हुआ तो नियमित के जो लाभ है और वेतनमान है तो वह भी उसने ले लिए हैं। ऐसे में उसे कोई बकाया यहां पर जारी करने का आदेश नहीं दिया गया है। साथ ही पेंशन को लेकर फैसला दिया गया कि जब से वह जॉइन हुआ है तो उसकी पेंशन में जो पूरी सेवा की अवधि है तो वह जोड़ी जाए और उसके बाद ही पैशन का निर्धारण किया जाए।
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