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EPS 95 Pension Hike: देश के 65 लाख पेंशनधारको को मिल सकती है खुशखबरी, न्‍यूनतम पेंशन डबल होने पर फैसला वित्त मंत्रालय कि सहमति ?

हाल ही में श्रम मंत्रालय द्वारा EPS 95 के तहत पेंशन बढ़ोतरी पर जो जवाब  दिया गया उसमे बताया गया है की मैं यह याद दिलाना चाहूंगा कि मेरे मंत्रालय ने 2018 के बाद से वित्त मंत्रालय के साथ, ईपीएस 1995 के तहत न्यूनतम पेंशन में वृद्धि का मुद्दा उठाया है। 9 सितम्बर 2020 को सचिव, श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा वित्त मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा गया है। इसके अलावा, वित्त मंत्रालय को 19 अक्टूबर 2020 को फिर से याद दिलाया गया है। 

यदि सब कुछ ठीक रहा तो जल्‍द ही मिनिमम पेंशन दोगुना हो सकती है। यह अभी 1000 रुपए है, जो बढ़कर 2000 रुपए हो सकती है। संभव हुआ तो दिवाली के बाद यह खुशखबरी मिल सकती है। निजी क्षेत्र के कर्मचारियों सहित देश के करीब 65 लाख पेंशनभोगियों के लिए यह अच्‍छी खबर है। मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार दिवाली के आसपास EPS 95 पेंशनर्स को EPFO की ओर से बढ़ी हुई पेंशन की सौगात मिल सकती है। 

बताया जा रहा है कि श्रम मंत्रालय के न्‍यूनतम पेंशन को बढ़ाए जाने के प्रस्‍ताव पर वित्‍त मंत्रालय ने सहमति दे दी है। यदि इस यह सहमति किसी निर्णय के रूप में सामने आती है तो न्‍यूनतम पेंशन दोगुना हो सकती है। असल में, इस प्रस्‍ताव पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्‍टीज (CBT-Central Board of Trustees) ने पिछले साल मंजूरी दे दी थी। अब इस Central Board of Trustees की मांग है कि न्‍यूनतम पेंशन बढ़ाकर 2000 से 3000 रुपए तक की जाए। यदि ऐसा हो जाता है तो इससे देश के 65 लाख से अधिक पेंशनर्स को सीधे तौर पर फायदा होगा।


हालांकि सरकार के खजाने पर दो से ढाई हज़ार करोड़ रुपए का अतिरिक्‍त भार आएगा। प्राइवेट सेक्‍टर के संगठित क्षेत्र के दायरे में आने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद मंथली पेंशन का फायदा दिया जा सके इसके लिए ही ईपीएस EPS यानी एंप्‍लायी पेंशन स्‍कीम, 1995 आरंभ की गई थी। EPF योजना, 1952 के अनुसार कोई भी संस्‍थान अपने कर्मचारी के ईपीएफ में होने वाले 12 फीसदी योगदान में से 8.33 प्रतिशत ईपीएस में जमा करता है। जब कर्मचारी 58 साल की आयु पूरी कर ले तब वह कर्मचारी इस ईपीएस EPS के पैसे से मासिक पेंशन का फायदा प्राप्‍त कर सकता है।

EPF कटौती का नियम

EPFO कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन के दायरे में जो संगठित क्षेत्र की कंपनियां आती हैं, वे अपने कर्मचारियों को ईपीएफ यानी (Employee Provident Fund) का पूरा लाभ देती हैं। इसका नियम तय है। इसके तहत EPF में नियोक्‍ता एवं कर्मचारी दोनों की तरफ से एक योगदान तय होता है जो कि कर्मचारी के मूल वेतन में महंगाई भत्‍ते को जोड़कर बनाया जाता है। यह बेसिक सैलेरी+DA का 12-12 प्रतिशत होता है। कंपनी के 12 प्रतिशत योगदान के पैसे में से 8.33 प्रतिशत राशि कर्मचारी पेंशन योजना यानी EPS में जाती है।


EPS खाते में से निकासी की सीमा

ईपीएस EPS Account में से पैसे निकालने के भी अपने नियम हैं। असल में, इसके लिए 10 साल का क्राइटेरिया है। 10 साल की अवधि के पहले सर्विस के जितने भी साल कम होंगे, आप एकसाथ उतनी ही कम धन राशि की निकासी कर पाएंगे। जानकारों का कहना है कि ईपीएस स्‍कीम में एकमुश्‍त पैसा निकालने की परमिशन केवल तभी मिल सकती है जब आपके पास नौकरी 10 साल से कम वर्ष हों। जो राशि आपको लौटाई जाएगी, वह ईपीएस योजना 1995 में दी गई Table D के अनुसार तय होगी।

नौकरी जाने पर पैसा निकालें या नहीं

यदि आपकी नौकरी चली जाती है तो आप ईपीएफ खाते से पैसा निकाल सकते हैं या नहीं, इसका जवाब भी जान लीजिये। असल में, ईपीएफ योजना के तहत नौकरी चली जाने पर मेंबर के पास पूरी राशि निकालकर उस खाते को बंद कराने का एक ऑप्‍शन होता है। यदि व्‍यक्ति दो माह से अधिक समय के लिए बेरोजगार है तो वह खाते को बंद करा सकता है। ऐसे में शर्त यह है कि सर्विस के दस साल कम होने पर ईपीएस और ईपीएफ खाते से एकमुश्‍त पूरा पैसा निकाला जा सकता है।

 

 


 

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