बॉम्बे हाईकोर्ट ने नियुक्ति को मंजूरी न मिलने के आधार पर सेवानिवृत्ति से जुड़े लाभ से वंचित एक मुख्याध्यापक को राहत दी है। इससे पहले सेवानिवृत्त मुख्याध्यापक डी आर सिंंह को इस आधार पर सेवानिवृत्ति से जुड़े लाभ देने से इंकार कर दिया गया था की 28 साल पहले जब उनकीशिक्षक के रुप में नियुक्ति की गई थी, तो शिक्षा अधिकारी ने सिंह की नियुक्ति को मंजूरी नहीं दी थी।
उसके बाद सेवानिवृत्ति से जुड़े लाभ से वंचित सिंह ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। यााचिका में सिंंह ने दावा किया था कि 1990 में उनकी माटुंगा स्थिति स्कूल गायत्री मंंदिर विद्यालय में शिक्षक के रूप में नियुक्ति हुई थी। इस दौरान उन्हें सरकार की तरफ से वेेेतन भी मिलता रहा। 30 अप्रैल 2018 को वे स्कूल से मुख्याध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हुए है। लेकिन उन्हें सेवानिवृत्ति से जुड़े लाभ से वंचित कर दिया गया।
न्यायमूर्ति एस सी गुप्ते व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ के सामने सिंह की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने मामले से जुड़े दस्तावेजों पर गौर करने के बाद पाया कि याचिकाकर्ता ने नियुक्ति के बाद लगातार अपनी सेवा दी है। उन्हें वेतन भी मिला है। जो उनकी नियुक्ति को दर्शाता है। उनकी नियुक्ति को 1993 में मंजूरी दी गई है। इसलिए सरकार 1993 से उनके सेवानिवृत्ति से जुड़े लाभ जारी करे।
खंडपीठ ने राज्य सरकार को 6 सप्ताह के भीतर सेवानिवृत्ति से जुड़े लाभ देने का निर्देश दिया है।
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