HIGHER PENSION ORDER | PENSION PAYMENT ORDER BY DELHI HIGH COURT
DELHI HIGH COURT LATEST JUDGMENT IN THE FAVOR OF PENSIONERS, PENSION PAYMENT ALONG WITH ARREARS ORDER
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली सरकार और तीनों नगर निगमों के जवाबों की मांग की, जो सेवानिवृत्त निगम अभियंताओं ने अपने पेंशन के बकाया को जारी करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की। जस्टिस हेमा कोहली और सुब्रमणियम प्रसाद की पीठ ने दिल्ली सरकार और नागरिक निकायों को दो सप्ताह के भीतर अपनी स्थिति रिपोर्ट दर्ज करने और सेवानिवृत्त इंजीनियरों की संख्या को इंगित करने का निर्देश दिया, जो विभाग के लिए पेंशन जारी करने के हकदार हैं।
HIMACHAL PRADESH HIGH COURT: FULL PENSION FOR RETIREES BEFORE 2006
उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि अप्रैल, 2020 से पेंशन जारी नहीं की गई है, तो पहले उदाहरण में, 13 अक्टूबर को सुनवाई की अगली तारीख से पहले अप्रैल के लिए पेंशन जारी करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
प्रदेश हाईकोर्ट ने 2006 से पहले रिटायर पेंशनधारियों को बड़ी राहत देते हुए स्पष्ट किया कि न्यूनतम 20 वर्ष का सेवाकाल पूरा करने वाले कर्मचारी भी पूरी पेंशन लेने के हकदार होंगे। न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर और न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने केपी नायर की दायर याचिका को स्वीकारते हुए यह व्यवस्था दी। कोर्ट ने कहा कि सरकार एक कृत्रिम कट ऑफ डेट के आधार पर पेंशनधारकों में भेद नहीं कर सकती।
ज्ञात रहे कि सरकार ने वर्ष 2006 में एक फैसले के तहत पूर्ण पेंशन के लिए जरूरी सेवा 33 वर्ष से घटा कर 20 वर्ष कर दी थी। इससे पहले यदि कोई कर्मचारी 33 वर्ष से कम कार्यकाल में रिटायर होता था तो उनकी पेंशन सेवाकाल के वर्षों के आधार पर तय की जाती थी। वर्ष 2009 में जारी अधिसूचना के तहत 01.01.2006 के बाद पूर्ण पेंशन के लिए 33 वर्ष के कार्यकाल की शर्त को खत्म करते हुए इसे 20 वर्ष कर दिया गया था। लेकिन यह भी कह दिया था कि यह नया प्रावधान केवल 2006 के बाद रिटायर होने वाले पेंशनरों के लिए लागू होगा।
याचिकाकर्ता 2006 से पहले का पेंशनर था, उसने उपर्युक्त शर्त को भेदभावपूर्ण और अनुच्छेद 14 के उल्लंघन के रूप में हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए कहा कि 2006 के पूर्व के पेंशनर्स भी सरकार द्वारा घोषित लाभ के हकदार हैं और उनकी पेंशन को 1.01.2006 के प्रभाव से अनुपात आधार पर कम नहीं किया जा सकता है। संपूर्ण रूप से पेंशनभोगी एक समरूप वर्ग बनाते हैं और उनसे कृत्रिम कट ऑफ डेट के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
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