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EPS 95 HIGHER PENSION | EPS 95 PENSIONERS VERY IMPORTANT INFORMATION RELATED TO HIGHER PENSION CASES

EPS 95 HIGHER PENSION NEWS | EPS 95 PENSIONERS CASE STATUS | EPS 95 PENSION LATEST NEWS


आदरणीय सदस्य गण , तमाम ग्रुप्स में पेंशन से संबंधित कयी तरह की सूचनाएं पोस्ट की जा रही हैं। आपको लगता होगा कि आखिर EPS 95 पेंशनधारको के पेंशन केस का क्या स्टेटस है, केरल वाले मामले को तो सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर कर्मचारियों के पक्ष में दिए गए निर्णय को सही माना है, फिर समस्या कहां है ?

आइए इस पूरे प्रकरण को सरल शब्दों में समझते हैं, पहली बात तो यह कि हमें इम्पलाइज पेंशन स्कीम वाली पेंशन मिलती है जो सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली फेमिली पेंशन से अलग है , (फेमिली पेंशन कर्मचारी के अंतिम वेतन के 50% के बराबर होती है और उन्हें पीएफ नहीं मिलता. इसलिए दोनों में कोई तुलना नहीं है। 



सुप्रीम कोर्ट में इम्पलाइज पेंशन स्कीम से संबंधित लंबित पेंशन मामले, सुप्रीम कोर्ट में लम्बित पेंशन मामलों को चार भागों में बांटा जा सकता है :-

  1. इपीएफओ द्वारा दायर रिव्यू पिटीशन ।
  2. भारत सरकार द्वारा दायर एस एल पी (स्पेशल लीव पिटीशन -यहा लीव का मतलब है अनुमति 
  3. कन्टेम्पट आफ कोर्ट पिटीशन और
  4. इपीएफ ओ की एडवाइजरी दिनांक ३१-५-२०१७ के विरुद्ध  , विभिन्न संस्थाओं के रिटाइरीज द्वारा दायर ४० से अधिक रिट्स या याचिकाएं (हमारी रिट भी इसी श्रेणी में है )

अब इन चारों को थोड़ा और विस्तार से समझ लेते हैं ( बगैर कानूनी बारीकियों में जाते हुए )

ईपीएफओ और सरकार द्वारा दायर रिव्यू और SLP

हुआ यह कि सरकार द्वारा दिनांक 22 अगस्त 2014 को एक नोटिफिकेशन जारी किया गया जिसका नम्बर था GS R 609(ई)। यह नोटीफिकेशन दिनांक 1 सितम्बर 2014 से लागू हो गया । इसके द्वारा EPS 95 योजना में कुछ परिवर्तन कर दिए गए जैसे -कन्ट्रीब्यूशन की वेतन सीमा 6500 से बढ़ाकर 15000 प्रतिमाह कर दी गयी, वे कर्मचारी जो नये भर्ती होंगे अगर 15000 से ज्यादा वेतन पा रहे हैं तो उनको पेंशन स्कीम की सदस्यता नहीं मिलेगी, निर्धारित वेतन सीमा 15000 के बजाय वास्तविक वेतन पर कान्ट्रीबयूशन कर बढ़ी पेंशन लेने का आप्सन समाप्त कर दिया गया ,पेंशन की गणना के लिए  वेतन का निर्धारण 12 महीने के वेतन के एवरेज के बजाय 60  महीने के वेतन का एवरेज आदि। 


इस नोटीफिकेशन के विरुद्ध केरल के कर्मचारी केरल हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इस नोटीफिकेशन को निरस्त कर दिया जिसके विरुद्ध ईपीएफओ और सरकार ने डबल बेंच में अपील की ,पर अपील खारिज हो गई , फिर इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की , जिसमें इपीएफओ की एस एलपी तो खारिज हो गई जिसके विरुद्ध उन्होंने रिव्यू दाखिल किया है, वहीं सरकार की एस एलपी अभी सुनी जानी है।

कोर्ट ने इस रिव्यू और एस एलपी को एक साथ टैग कर दिया है और दोनों एक साथ ही सुनी जानी है।
अब हमे ज्ञात हो गया कि इस मामले से EPS 95 पेंशनधारको का कोई खास मतलब नहीं है। 

जहां तक कंटेम्पट का मामला है उसमें कुछ कर्मचारियों को पहले बढी पेंशन दिया पर बाद में बन्द कर दिया या रिकवरी कर ली। इससे भी EPS 95 पेंशधारक प्रभावित नहीं हैं ।

EPS 95 पेंशनधारकों का केस -ईपीएफओ की चिट्ठी दिनांक 31-05 -2017
एक  आर सी गुप्ता का जजमेंट अक्टूबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने दिया जिसमें कर्मचारियों को 6500 की सीलिंग के बजाय उनके वास्तविक वेतन के आधार पर पेंशन का निर्धारण करने का आदेश दिया गया । (जैसे किसी का वास्तविक वेतन 100000 है तो उसकी पेंशन फंड में  कटौती 6500 के 8.33 % के बजाय 100000 पर 8.33% कर ली जाय और तदनुसार पेंशन की गणना ६५०० के बजाय १००००० वेतन मान कर की जाय ।
सुप्रीम कोर्ट के उक्त निर्णय के बाद ईपीएफओ ने 23-3-2017 को आदेश को लागू करने का परिपत्र जारी कर दिया।


पर दिनांक 31-5-2017 को ईपीएफओ ने पल्टी मारते हुए एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि दिनांक 23-3-2017 का आदेश केवल अन एक्जम्पटेड संस्थाओं पर लागू होगा, एकजेम्पटेड संस्थाओं पर नहीं ।हम लोग एक्जम्पटेड में आते हैं ।

अब हल्के से एक्जम्पटेड वाला फंडा भी देख लेते हैं । एक्ट में ही यह व्यवस्था है कि सक्षम संस्थाएं ईपीएफओ के नियमों का पालन करते हुए अपना खुद का ट्रस्ट बना सकती हैं और वेतन से पीएफ की कटौती कर पैसा ईपीएफओ के पास भेजने के बजाय अपने ही ट्रस्ट में रखेंगी और इस ट्रस्ट पर ईपीएफओ की निगरानी रहेगी । पेंशन के मामले में पेंशन फन्ड ईपीएफओ के पास ही है और ट्रस्ट ,पेंशन वाला पैसा ईपीएफओ को भेज देता है जबकि पीएफ वाला पैसा अपने पास ही रखता है ।

इस मनमाने आदेश के बिरुद्ध 40 से ज्यादा संस्थाओं के रिटाइरीज ने सुप्रीम कोर्ट में सीधे याचिका दायर की है ।

EPS 95 केस मजबूत है

देखिए संविधान में मूल अधिकारों के तहत एक महत्त्वपूर्ण अधिकार है समानता का अधिकार इसके तहत यह कहा गया है कि दो समान लोगों के बीच सरकार भेदभाव नहीं कर सकती । हमारा कहना है कि ईपीएस पेंशन पाने वाले सारे रिटाइट्रीज एक समान है ,सब के लिए एक ही नियम है ,सभी की पेंशन का कन्ट्रीव्यूसन ,सभी का पेंशन भुगतान का तरीका सब कुछ एक समान ही नहीं बल्कि एक ही है सबका पेंशन फन्ड एक ही है सबका पैसा ईपीएफओ के ही पेंशन फंड में ही जमा होता है । केवल और केवल अन्तर पेंशन फंड को पेंशन का पैसा  भेजने के तरीके में है जैसे हम पीएफ ट्रस्ट के माध्यम से भेजते हैं जबकि अन एक्जम्पटेड केस में कर्मचारी से कटौती कर संवधित संस्थान/कंपनी इपीएफओ को भेजता है । यह अंतर कहीं से भी  रिटाइरीज में भेद करने का कारण नहीं हो सकता । 

सभी 40 से ज्यादा याचिकाओं की सुनवाई भी एक साथ होनी है और अब केस फाइनल आर्गूमेंट की स्टेज पर है ।
आशा करता हूं मैं सभी बिन्दुओं को स्पष्ट कर पाया हूं ।

यह जानकारी एक EPS 95 पेंशनधारक धारक द्वारा सांझा की गई है इस ज्यादा से ज्यादा EPS 95 पेंशनधारको शेर करे। 

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