PENSION NEWS TODAY | EPS 95 LATEST NEWS | PENSION PAYMENT ORDER BY HIGH COURT
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 31 मई 2020 को सेवानिवृत हुए सहायक शिक्षक की पेंशन भुगतान पर याचिकाकर्ता के हक़ में फैसला दिया है। राज्य सरकार ने सहायक शिक्षक के. पी. पवार को यह कहते हुए पेंशन के लिए अपात्र ठहरा दिया था कि जब वे सेवा में थे तो उनके पास डिप्लोमा इन एजुकेशन डीएड की योग्यता नहीं थी।
इसलिए उन्हें अनट्रेंड शिक्षक माना गया है और पेंशन से वंचित रखा गया। राज्य सरकार के इस रुख की वजह से पवार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और इस याचिका में कहा की रकार के इस रुख को नियम के विपरीत है और इसे रद्द किया जाये। इसपर सेवानिवृत्ति के सात साल बाद भी पेंशन से वंचित एक सहायक शिक्षक को बॉम्बे हाईकोर्ट ने राहत दी है।
न्यायमूर्ति उज्जल भूयान व न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई। खंडपीठ ने कहा कि सेवानिवृत्त के बाद याचिकाकर्ता को इस आधार पर पेंशन के अयोग्य नहीं ठहरा सकता कि सालों तक सेवा देने के बाद उन्हें यह कहा जाए कि शिक्षा देने के दौरान डीएड की योग्यता नहीं थी।
इस दौरान खंडपीठ ने औरंगाबाद खंडपीठ के एक फैसले का ज़िक्र किया। जिसमें कहा गया था कि पेंशन कोई कृपा नहीं यह अधिकार है। जो किसी भी सेवारत कर्मी को लंबी सेवा के फलस्वरूप मिलता हैं। यह समाज कल्याण का एक उपाय है। ताकि सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी स्वयं को असहाय न महसूस करें।
इस आधार पर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को पेंशन व उससे जुड़े लाभ का हकदार माना और सरकार को 6 सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को पेंशन व पेंशन से जुड़े लाभ का भुगतान करने का निर्देश दिया।
Bombay High Court Order: Bombay High Court has ruled in favor of the petitioner.
The Bombay High Court has ruled in favor of the petitioner on the pension payment of the retired assistant teacher he was retired on31 May 2020. State Government Assistant Teacher K. P. Pawar was ineligible for pension, saying that while he was in service, he did not have the qualification of Diploma in Education D.Ed.
Hence he is considered an untrained teacher and was denied pension. Because of this attitude of the state government, Pawar had filed a petition in the High Court and said in this petition that this attitude of Rakar is contrary to the rule and should be canceled. After seven years of retirement, the Bombay High Court has granted relief to an assistant teacher deprived of pension.
Hearing of the petition before the bench of Justice Ujjal Bhuyan and Justice Abhay Ahuja. The bench held that after retiring, the petitioner cannot be disqualified from the pension on the ground that after serving for years, he was told that DED was not qualified while imparting education.
During this time the bench referred to a decision of the Aurangabad bench. In which it was said that pension is not a right. Which is a result of long service to any serving worker. It is a measure of social welfare. So that employees do not feel helpless after retirement.
On this basis, the bench considered the petitioner as entitled to pension and related benefits and directed the government to pay pension and pension related benefits to the petitioner within 6 weeks.
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