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झारखंड हाय कोर्ट के फैसले से 40 साल से पेंशन के लिए भटक रही महिला को मिला इंसाफ, सरकार पर लगाया 50000 का जुर्माना


हम सभी जानते है की सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारी को अपना और अपने परिजनों का जीवन यापन करने के लिए पेंशन दी जाती है और अगर किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उसकी पत्नी या फिर पति को पेंशन मिलती है। ऐसा ही एक मामला झारखंड का है दरसल जसुमति पिंगुआ के पति प. सिंहभूम जिले के टक्कर बापा उच्च विद्यालय में शिक्षक थे। साल 1976 में उनकी मृत्यु हो गई थी। उसके बाद उनकी पत्नी ने पेंशन के लिए सरकार से गुहार लगाई पर उन्हें पेंशन नहीं मिली पेंशन नहीं मिलने पर उन्होंने  झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
इस संबंध में महिला जसुमति पिंगुआ ने  झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। प्रार्थी के अधिवक्ता शादाब बिन हक ने पीठ को बताया कि प्रार्थी के आवेदन के बाद भी सरकार की ओर से उन्हें पेंशन नहीं दी गई। अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में इससे पहले के एस के मस्तान मामले में दिए गए आदेश का हवाला देते हुए कहा कि पेंशन का दावा देर से किया गया इस कारण पेंशन नहीं देना नियम के खिलाफ है। कोर्ट ने माना कि दावा देर से करने पर किसी की पेंशन नहीं रोका जा सकती।

इस पर झारखंड हाईकोर्ट ने पेंशन के लिए करीब 40 साल से भटक रही  जसुमति पिंगुआ के मामले में सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और राज्य सरकार को महिला को दस फीसदी ब्याज के साथ पेंशन देने का मंगलवार को आदेश दिया। जस्टिस डॉ. एस एन पाठक की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा कि पेंशन देना राज्य सरकार का काम है।  सरकारी अधिकारियों की वजह से ही इतने दिनों से पेंशन पेंडिंग रही। इसके बाद बेंच ने सरकार को याचिकाकर्ता को दस प्रतिशत ब्याज के साथ पेंशन देने का आदेश दिया है। 

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