वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री, श्री अनुराग ठाकुर ने आगामी आम बजट 2019-20 के संबंध में आज विभिन्न ट्रेड यूनियनों और श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व विचार-विमर्श किया।
बैठक के दौरान ट्रेड यूनियनों और श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों ने श्रम और रोजगार के मुद्दों के संबंध में अपने विचार और सुझाव साझा किए। मौजूदा श्रमबल के कौशल, पुनःकौशल और कौशल बढ़ाने के अलावा मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के बारे में विचार-विमर्श किया गया। रोजगार सृजन की गुणवत्ता और श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने के अलावा अपना रोजगार गवां चुके कामगारों के पुनर्वास के मुद्दे पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री के साथ, बैठक में राजस्व सचिव श्री अजय भूषण पांडे, व्यय सचिव श्री गिरीश चंद्र मुर्मू, सीबीडीटी के अध्यक्ष श्री प्रमोद चंद्र मोदी, सीबीआईसी के अध्यक्ष श्री पी.के. दास, मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. के.वी. सुब्रमण्यन, श्रम और रोजगार मंत्रालय में अपर सचिव श्रीमती अनुराधा प्रसाद, वी.वी. गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान के महानिदेशक श्री एच, श्रीनिवास और वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
विभिन्न ट्रेड यूनियनों और श्रम संगठनों के विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों ने कृषि पर ध्यान देते हुए ग्रामीण युवाओं की आकांक्षाओं के साथ कौशल विकास बढ़ाने, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता, व्यापक बेरोजगारी बीमा योजना की शुरूआत, रोजगार बढ़ाने के लिए आईटीआई के पाठ्यक्रम में संशोधन, ठेका श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान, पूंजी गहन उद्योग को बढ़ावा देना, औपचारिक रोजगार के लिए आकस्मिक / संविदा कर्मियों का रूपांतरण, 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश पर न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण, स्वास्थ्य, शिक्षा और खाद्य सुरक्षा जैसी मूल आवश्यक सेवाओं के आवंटन में बढ़ोतरी, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के विनिवेश और रणनीतिक बिक्री को रोकना, सभी बकाया ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा का विस्तार और शहरी क्षेत्रों में इसकी शुरूआत, योजना के तहत कार्यदिवसों की संख्या बढ़ाकर 200 दिन करना, सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए असंगठित श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय कोष का सृजन करने जैसे सुझाव दिए गए।
इस बैठक में भाग लेने वाले श्रम संगठनों में भारतीय मज़दूर संघ के संगठन सचिव श्री बी. सुरेन्द्रन, इंटक के अध्यक्ष श्री जी संजीव रेड्डी, महासचिव सुश्री अमरजीत कौर, हिंद मजदूर सभा के सचिव श्री मुकेश गालव, आईएलओ की निदेशक सुश्री डगमर वाल्टर, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के प्रबंध निदेशक श्री मनीष कुमार, फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज के अध्यक्ष श्री अनिमेष सक्सेना, अखिल भारतीय केंद्रीय व्यापार संघ परिषद के श्री राजीव डिमरी, एसईडब्ल्यूए की राष्ट्रीय सचिव सुश्री मनाली शाह, राष्ट्रीय कौशल विकास और आजीविका समिति के सह अध्यक्ष श्री सौमित्र भट्टाचार्य, फेडरेशन ऑफ स्मॉल इंडस्ट्रीज ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री के.वी. शेखर राजू, भारतीय व्यापार संघ केन्द्र के राष्ट्रीय सचिव श्री स्वदेश देव रॉय, ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ एम्प्लॉयर्स के कार्यकारी निदेशक श्री अरुण चावला तथा अन्य कई हस्तियां शामिल थीं।
बैठक के दौरान ट्रेड यूनियनों और श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों ने श्रम और रोजगार के मुद्दों के संबंध में अपने विचार और सुझाव साझा किए। मौजूदा श्रमबल के कौशल, पुनःकौशल और कौशल बढ़ाने के अलावा मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के बारे में विचार-विमर्श किया गया। रोजगार सृजन की गुणवत्ता और श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने के अलावा अपना रोजगार गवां चुके कामगारों के पुनर्वास के मुद्दे पर भी विस्तार से चर्चा हुई।
वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री के साथ, बैठक में राजस्व सचिव श्री अजय भूषण पांडे, व्यय सचिव श्री गिरीश चंद्र मुर्मू, सीबीडीटी के अध्यक्ष श्री प्रमोद चंद्र मोदी, सीबीआईसी के अध्यक्ष श्री पी.के. दास, मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. के.वी. सुब्रमण्यन, श्रम और रोजगार मंत्रालय में अपर सचिव श्रीमती अनुराधा प्रसाद, वी.वी. गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान के महानिदेशक श्री एच, श्रीनिवास और वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
विभिन्न ट्रेड यूनियनों और श्रम संगठनों के विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों ने कृषि पर ध्यान देते हुए ग्रामीण युवाओं की आकांक्षाओं के साथ कौशल विकास बढ़ाने, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता, व्यापक बेरोजगारी बीमा योजना की शुरूआत, रोजगार बढ़ाने के लिए आईटीआई के पाठ्यक्रम में संशोधन, ठेका श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान, पूंजी गहन उद्योग को बढ़ावा देना, औपचारिक रोजगार के लिए आकस्मिक / संविदा कर्मियों का रूपांतरण, 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश पर न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण, स्वास्थ्य, शिक्षा और खाद्य सुरक्षा जैसी मूल आवश्यक सेवाओं के आवंटन में बढ़ोतरी, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के विनिवेश और रणनीतिक बिक्री को रोकना, सभी बकाया ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा का विस्तार और शहरी क्षेत्रों में इसकी शुरूआत, योजना के तहत कार्यदिवसों की संख्या बढ़ाकर 200 दिन करना, सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए असंगठित श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय कोष का सृजन करने जैसे सुझाव दिए गए।
इस बैठक में भाग लेने वाले श्रम संगठनों में भारतीय मज़दूर संघ के संगठन सचिव श्री बी. सुरेन्द्रन, इंटक के अध्यक्ष श्री जी संजीव रेड्डी, महासचिव सुश्री अमरजीत कौर, हिंद मजदूर सभा के सचिव श्री मुकेश गालव, आईएलओ की निदेशक सुश्री डगमर वाल्टर, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के प्रबंध निदेशक श्री मनीष कुमार, फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज के अध्यक्ष श्री अनिमेष सक्सेना, अखिल भारतीय केंद्रीय व्यापार संघ परिषद के श्री राजीव डिमरी, एसईडब्ल्यूए की राष्ट्रीय सचिव सुश्री मनाली शाह, राष्ट्रीय कौशल विकास और आजीविका समिति के सह अध्यक्ष श्री सौमित्र भट्टाचार्य, फेडरेशन ऑफ स्मॉल इंडस्ट्रीज ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री के.वी. शेखर राजू, भारतीय व्यापार संघ केन्द्र के राष्ट्रीय सचिव श्री स्वदेश देव रॉय, ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ एम्प्लॉयर्स के कार्यकारी निदेशक श्री अरुण चावला तथा अन्य कई हस्तियां शामिल थीं।
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