ईपीएफओ फिर से केरल हाईकोर्ट के आदेश पर पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की तैयारी कर रहा है. अखबार मिंट के मुताबिक ईपीएफओ के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) में फिलहाल हो रहा मासिक योगदान सीमित है और यह ज्यादा पेंशन देने के लिए पर्याप्त नहीं है. ज्यादा पेंशन देने से ईपीएफओ पर ही आर्थिक बोझ काफी बढ़ जाएगा.
भारत सरकार का कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ही सभी कर्मचारियों के ईपीएफ और पेंशन खाते को मैनेज करता है. हर ऐसा संस्थान जहां पर 20 या इससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, उसे EPF में हिस्सा लेना होता है. ईपीएस इस योजना के साथ जुड़कर चलती है इसलिए ईपीएफ स्कीम का मेंबर बनने वाला हर शख्स पेंशन स्कीम का मेंबर अपने आप बन जाता है.
EPF या EPS में, ऐसे कर्मचारियों का अंशदान जमा होना अनिवार्य है, जिनका बेसिक वेतन + DA 15000 रुपये या इससे अधिक होता है. जो कर्मचारी इससे अधिक बेसिक सैलरी पाते हैं, उनके पास ईपीएफ और EPS को अपनाने या छोड़ने का विकल्प होता है. आपके पीएफ खाते में नियोक्ता जो पैसा डालता है उसका एक हिस्सा पेंशन स्कीम के लिए ही इस्तेमाल होता है, जबकि आपकी सैलरी से जो पैसा कटता है वो पूरा का पूरा ईपीएफ स्कीम में चला जाता है.
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