सार्वजनिक कार्य/सेवा चाहे शुल्क या निशुल्क आधारित कुछ भी हो कोई भी करता है तो भोले भाले निर्मल मन वाले इंसान उन पर पूरी आशा और भरोसा करते हैं और उनकी आकांक्षा होती कि वे उनको पूरा न्याय दिलाएंगे उनके लिए हमारा हर शब्द ब्रह्म वाक्य होता है विशेषकर तो जब यह रुपए पैसे व सुख सुविधा से संबंधित हो और वह भी जीवनांतक समय की वयोवृद्धावस्था काल में इनके मन में तो हमारा स्थान मसीहा समान हो जाता है और हमारी वाणी ब्रह्म आकाशवाणी हो जाती है परंतु जब यह झूठ साबित होता हो जाए तो हटा कटा जवान भी सकते, डिप्रेशन,ब्रेन स्ट्रोक, हृदयाघात और घबराकर मर जाता है।
ईश्वर ना करे किसी के साथ ऐसा हो पर यह तो सुनिश्चित है कि इंसान का इंसान से भरोसा उठ जाता है।
दिनांक 4.12.18 से 7.12.18 तक NAC ने दिल्ली में महामेगा आंदोलन किया उस धरना स्थल पर आकर 6 तारीख को ईपीएफओ के प्रतिनिधि ने एवं 7.12.18 को भारत सरकार के प्रतिनिधि माननीय सांसद महोदय श्रीमान भागीरथ सिंह जी ने हमारी न्यूनतम ₹7500+DA व 31.5.17 की एडवाइजरी जिससे बढ़ी हुई दरों का भुगतान रुका हुआ है के निरस्त करने बारे में कहा कि यह जायज है और शीघ्र ही हम पूरा करेगे।
यह बात आंदोलनरत हजारों पेंशनरों के बीच कहीं गई फलतः यह बात जंगल की आग की तरह पूरे देश के पेंशनरों में फैल गई कि आखिर बिना ₹1 लिए NAC ने हमें न्याय दिला दिया!
पेंशनर्स की प्रमुख मांगे:
पेंशनर्स की प्रमुख मांगे:
- EPFO के द्वारा जारी किये गए पत्र दि. ३१ मई २०१७ को रद्द किया जाये।
- न्यूनतम पेंशन को 7500 प्रति महा की दर से दे और इसे DA के साथ भी करें।
- जो सेवानिवृत्त कर्मचारी EPS 95 के सदस्य नहीं है, उन्हें भी पूर्व तारीखों से अंशदान लेकर सदस्य बनाया जाये और उन्हें कम से कम 5000 रु. प्रति महा की दर से पेंशन दिया जाए।
- Commutted Pension की राशि को पूर्व व्यवस्था की तरह तरह 100 माह के बाद पेंशन से जोड़ा जाए।
- पेंशनर्स के मृत्यु के बाद उसकी विधवा को 50% की जगह 100% पेंशन दिए जाए।
इस बीच अचानक एक अन्य संगठन ने 19.12.18 को दिल्ली में प्रदर्शन कर न्यूनतम पेंशन ₹3000 प्रतिमाह की मांग रख दी उसके बाद देश की प्रमुख 12 ट्रेड यूनियन ने भी संयुक्त हो दो दिन के भारत बंद के अपने चार्टर में ₹3000 प्रति माह की मांग को सर्वोच्च स्थान देते हुए पोस्टर में इसको पहला स्थान दिया जबकि राष्ट्रीय संघर्ष समिति मुताबिक ये यूनियनें आज दिन तक इस मुद्दे पर मौन थी और आश्चर्य तो यह है कि जब इतनी सी है बात कर रही है तो 31.5.2017 की अंतरिम एडवाइजरी के निरस्तिकरण बाबत इन्होंने इनके पोस्टर में क्यों नहीं?
खैर कुछ भी हो राष्ट्रीय संघर्ष समिति के द्वारा जो बात हुई वह देश के सारे पेंशनरों में फैल गई है कि ₹7500 न्यूनतम पेंशन +DA तो EPS 95 के पेंशनरों को मिल ही जाएगा परंतु वर्तमान हालात में सरकार ने श्रम संगठनों के जरिए ₹3000 की मांग उठा कर दो या ₹3000 पर इसका फैसला कर देगी इसलिए हमारे लिए जरूरी है कि हम देश के पेंशनरों को यह विश्वास दिला दें कि यह राशि ना हमें पहले मंजूर थी ना हमें आज मंजूर है ना भविष्य में मंजूर होगी यदि ऐसा होता है तो उसके लिए राष्ट्रीय संघर्ष समिति जिम्मेदार नहीं है पूर्व की तरह आप हम पर सदैव विश्वास करिएगा हम अपनी मांगों पर अभी भी अडिग हैं और हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
आपके साथ राष्ट्रीय संघर्ष समिति कभी धोखा नहीं करेगी।
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साभार,
रणजीत सिंह दसुन्दी,
प्रदेशाध्यक्ष (राजस्थान)एवं
मुख्य समन्वयक (उत्तर भारत)
EPS 95राष्ट्रीय संघर्ष समिति
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