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EPS 95 के पेंशधारकों का दिल्ली में आज से आमरण अनशन

नई दिल्ली: 4 दिसंबर आज के इस महंगाई के जमाने में बुजुर्ग पेंशनर्स 2500 रुपये में अपना महीने का खर्च कैसे चला सकते हैं? पिछले एक साल में लाखों पेंशनर दम तोड़ चुके हैं। सरकार की तरफ से मोहलत मांगे जाने पर इन पेंशनरों का कहना है, ‘‘जिंदगी हमें मोहलत नहीं दे रही, हम किसी को क्या मोहलत दें, हम बसों के शीशे नहीं तोड़ सकते, सरकार ही बता दे कि हम अपना हक लेने के लिए क्या करें?’’

कोशियारी समिति की सिफारिशों के तहत EPS 95 के पेंशधारकों को कम से कम 7,500 रुपये मासिक पेंशन और अंतरिम राहत के रूप में 5000 रुपये और महंगाई भत्ते की मांग के लिए संघर्ष कर रहे ईपीएस-95 के पेंशनर आमरण अनशन और सामूहिक आत्मदाह पर आमदा हो गए हैं। ईपीएफ पेंशनर 4 दिसंबर से नई दिल्ली के भीकाजी कामा प्लेस स्थित भविष्य निधि ऑफिस के सामने आमरण अनशन करेंगे।
ईपीएफ राष्ट्रीय संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने कहा, ‘‘पेंशनर्स की मांगें अगर सरकार 6 दिसंबर तक नहीं मानी तो हम 7 दिसंबर को जंतर-मंतर पर सामूहिक आत्मदाह का रास्ता अपनाएंगे। 

गौरतलब है कि एक साल के भीतर 2 लाख पेंशनर दम तोड़ चुके हैं। ईपीएफ पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे लोग 60 से 80 वर्ष की उम्र के हैं। उनके पास ज्यादा जिंदगी नहीं बची है।
कमांडर अशोक राउत ने तंज कसते हुए कहा, ‘‘7 दिसंबर को विभिन्न दलों के नेता आएं और हमारे सामूहिक आत्मदाह कार्यक्रम का रिबन काटकर उद्घाटन करें। रोज-रोज मरने से अ‘छा है कि एक दिन मरकर जिंदगी खत्म कर दी जाए। अपना हक पाने के लिए हमने हर जायज तरीके से आंदोलन किया। तालाबंदी की, सांसदों के धर के आगे प्रदर्शन किया, भिक्षा मागी, मुंडन तक कराया। अब सरकार हमें बताएं कि किस ढंग से हम प्रदर्शन करें, जो उनके कानों में जूं रेंगेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम बुजुर्ग हैं। सडक़ पर उतरकर तोडफ़ोड़ नहीं कर सकते। बसों के शीशे नहीं तोड़ सकते। हमारे पास बहुत कम जिंदगी बची है।’’
राउत ने कहा कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री ने पेंशन धारकों को मिलने वाली पेंशन की राशि 1000 रुपये करने की घोषणा की थी, लेकिन आज भी करीब 17 लाख पेंशन धारकों को 1000 रुपये से भी कम पेंशन मिल रही है और ईपीएफओ पेंशनधारकों को गुमराह कर रहा है। पेंशनधारक इतने परेशान हैं कि वे अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करने के अलावा सांसदों के घरों और दफ्तरों का घेराव भी चुके हैं। इसके अलावा वे मुंडन करवाकर और भिक्षा मांगकर भी अपना विरोध जता चुके हैं।’’

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