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PENSION LATEST NEWS TODAY: पेंशन बहाली के लिए सीएम ने बनाई थी समिति, पहली ही बैठक फेल | CM formed committee for pension restoration, first meeting fails

लखनऊ: पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद बनी समिति की पहली बैठक ही सोमवार को बेनतीजा साबित हुई। बैठक में कर्मचारी नई पेंशन नीति की खामियां गिनाते रहे, जबकि अधिकारी नई पेंशन के लाभ गिनाते रहे। समिति में कर्मचारियों के प्रतिनिधि के रूप में मौजूद दोनों नेताओं ने आरोप लगाया है कि अधिकारी मुद्दे के इतर ही बात कर रहे थे, लिहाजा कर्मचारी नेता अब इस समिति की अगली बैठक में नहीं जाएंगे।

CM ने गठित की थी समिति
कर्मचारी संगठनों द्वारा बीते महीने तीन दिवसीय हड़ताल की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री ने कर्मचारी नेताओं के साथ बात की थी और इसका रास्ता निकालने के लिए एक समिति का गठन किया था। सोमवार को इसकी पहली बैठक लोकभवन में हुई, जिसकी अध्यक्ष कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव ने की। वित्त, न्याय, नियोजन और निदेशक पेंशन के साथ कर्मचारी, शिक्षक अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच के अध्यक्ष डॉ़ दिनेश चंद्र शर्मा और संयोजक हरिकिशोर तिवारी ने इसमें हिस्सा लिया।

मंच के मीडिया प्रभारी मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि भारत सरकार(PFRDA) के प्रतिनिधि के तौर पर आमंत्रित अधिकारी को भी इसमें शामिल होने के लिए कहा गया था, लेकिन वह नहीं आए। बैठक में उपस्थित कर्मचारी नेताओं को जानकारी दी गई कि इस बैठक में सीधे तौर पर उन्होंने शामिल होने से इनकार कर दिया है और प्रदेश स्तर की प्रभारी अधिकारी को इस बैठक की शंकाओं के समाधान के लिए भेजने की बात कही है। कर्मचारी नेताओं ने मुख्य सचिव डॉ़ अनूप चंद्र पांडेय को भी इसकी जानकारी दे दी है कि अगर भविष्य में पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली से इतर बिंदुओं पर वार्ता होगी तो वे बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। कर्मचारी नेताओं ने बैठक में पेंशन का पैसा डिफॉल्टर कंपनियों पर लगाए जाने का मुद्दा भी उठाया।

सात बार डिफॉल्टर हुई कंपनी पर लग रहा पेंशन का पैसा
बैठक में मौजूद कर्मचारी नेताओं ने एक साल में सात बार डिफॉल्टर हुई कंपनी पर कर्मचारी और शिक्षकों की पेंशन राशि लगाए जाने का विरोध किया। उन्होंने हर हाल में पुरानी पेंशन योजना बहाल रखने की मांग रखी। कर्मचारी नेताओं ने समिति को बताया कि इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएल ऐंड एफएस) एक सरकारी क्षेत्र की कंपनी है, जिसकी 40 सहायक कंपनियां हैं। इसे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी की श्रेणी में रखा जाता है। जो बैंकों से लोन लेती हैं। यह कंपनी बैंकों से लोन लेती है। लोन के लिए संपत्ति गिरवी नहीं रखती है। भारत सरकार इसके पीछे होती है, लिहाजा बाजार को भरोसा होता है। मगर एक हफ्ते के भीतर इसकी रेटिंग को ‘AA +’ से घटाकर जंक स्टेटस कर दिया गया है।

जो कंपनी 90,000 करोड़ रुपये का लोन डिफॉल्ट करने जा रही हो, उसपर कैसे भरोसा किया जा सकता है? यह आम लोगों की मेहनत की कमाई का पैसा है। डूब गया तो सब डूब जाएंगे। इस 27 अगस्त से जब यह गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी तय समय पर लोन नहीं चुका पाई, डेडलाइन मिस करने लगी तब शेयर मार्केट भी गिर गया। 15 सितंबर से 24 सितंबर के बीच सेंसेक्स 1785 अंक गिरा था। सिडबी ने आईएल ऐंड एफएस और उसकी सहायक कंपनियों को करीब 1000 करोड़ का कर्ज दिया है। 450 करोड़ तो सिर्फ आईएल एंड एफएस को दिया है। बाकी 500 करोड़ उसकी दूसरी सहायक कंपनियों को लोन दिया है। सिडबी ने इन्सॉल्वेंसी कोर्ट में अर्जी लगाई है ताकि इसकी संपत्तियां बेचकर उसका लोन जल्दी चुकता हो। ऐसी स्थिति देखते हुए सरकार ने एलआईसी को इसमें शामिल किया है। एलआईसी के भरोसे कितनी डूबते जहाज बचाए जाएंगे?

The first meeting of the committee formed after the order of Chief Minister Yogi Adityanath, about the restoration of the Lucknow Old Pension System, proved to be a benchmark on Monday. Employees counted the shortcomings of the new pension policy in the meeting , while the officials counted the benefits of the new pension. Both the leaders present in the committee as employees of the committee have alleged that the officials were talking about the issue other than that, hence the Employees' Leader will no longer go to the next meeting of the committee.

CM had formed the committee

after the announcement of the three-day strike by the employees of the committee , the Chief Minister spoke to the staff leaders and formed a committee to find out the way. On Monday, its first meeting took place in Lok Bhavan, whose chairman was the Additional Chief Secretary of Personnel Department. Employees with Finance, Justice, Planning and Director of Pension, Dr. Dinesh Chandra Sharma, Chairman of Old Pension Restoration Forum and Convener Harikishor Tiwari participated in it.

Manoj Shrivastava, the media in charge of the forum said that as a representative of the Government of India (PFRDA), the invited officer was also asked to join, but he did not come. It was informed to the staff leaders present in the meeting that they have refused to join directly in this meeting and have asked the in-charge of the state level to send the solution to the doubts of this meeting. Employees have also given information to Chief Secretary Dr. Anup Chandra Pandey that if there is a talk on the other points from the restoration of old pension system in the future, then they will not participate in the meeting. Employees also raised the issue of imposing pension money on defaulter companies in the meeting.


Pension funded on a company defaultered seven times

Employees in the meeting, opposed to imposing the pension amount of employees and teachers on the company, who had defaulted seven times in a year. They demanded to restore old pension plans at all times. Employees' leaders told the committee that Infrastructure Leasing and Financial Services (IL & FS) is a public sector company, with 40 subsidiary companies. It is classified as a non-banking finance company. Who take loans from banks This company takes loans from banks. Property for loan is not mortgaged. The Indian government is behind this, so the market is confident. But within a week, its rating has been reduced from 'AA Plus' to junk status.

How can the company, which is going to define a loan of Rs 90,000 crore, can be trusted? It is the money for the hard earned money of ordinary people. If it is sunk then all will be drowned. From 27th August when the non-banking financial company failed to repay the loan on time, the deadline was missed after the stock market fell. Between September 15 and September 24, the Sensex dropped 1785 points. SIDBI has given a loan of around Rs 1,000 crore to IL & FS and its subsidiaries. 450 crore only to IL & FS The remaining 500 million has given loans to its other subsidiaries. SIDBI has filed an appeal in the insolvency court so that it can sell its assets and pay the loan quickly. Given this situation, the government has included the LIC in this. How many sinks of LIC will be saved?

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